Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 18
________________ ( १३ ) प्रदक्षिणा पूरी की है और इस प्रदक्षिणा में उसने लगभग ६६ हजार मील की यात्रा की है। अब यदि पृथ्वी को गोलाकार मानते हैं तो उसको परिधि प्रायः ६ से १० हजार मील से अधिक नहीं होती और चेलेंजर की यात्रा ६६ हजार मोल की है जो छः गुना अधिक है । यदि पृथ्वी को गोल माना जाय तो यह सम्भव नहीं है । और लीजिये - यदि पृथ्वी गोल होतो तो कर्क रेखा ( २३॥ अंश उत्तर ) का एक अंश = ४० मील माना जाता है तब मकररेखा ( २३|| प्रदेश दक्षिरण ) का वही अंश ७५ मील के करीब बैठता है, यहो नहीं परन्तु दक्षिण की ओर जितना ही बढ़ते जाएँ तो यह नाप बढ़ता हुआ १०३ मौल तक हो जाता है | यह क्यों ? और उत्तरीघ्रव के अन्वेषकों की रिपोर्ट के आधार पर उत्तरी ध्र ुव की ओर १०० पौण्ड का भार भी बहुत कठिनाई से उठाया जा सकता हैं, जब किं दक्षिणीध्रुव के अन्वेषकों की रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि बे दक्षिणी ध्रुव की ओर श्रासानी से ३०० से ४०० पौण्ड का भार उठा सकते हैं । यदि पृथ्वी गोल होती तो दोनों ध्रुव प्रदेशों का वातावरण एक समान होना चाहिए । कोपृथ्वी गोल मानने के सम्बन्ध में एक तर्क दिया जाता है कि-चन्द्र के ऊपर गिरने वाली प्रतिच्छाया गोल दिखाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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