Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 27
________________ ( २२ ) वर्तमान विश्व में भी इस प्रकार सूर्य अथवा तारे और होकायन्त्र की सहायता से ही दिशाओं का ज्ञान करके ही मात्रा करते हैं और उसी से ऊपर बताये अनुसार दिशाश्रम होने से गोलाकार यात्रा करने पर भी उसे सोधी दिशा ही मान ली जाती है । इस प्रकार यह सिद्ध हो जाता है कि पृथ्वी गोल नहीं 3 पृथ्वी पर की जाने वाली यह यात्रा पूर्वं अथवा पश्चिम दिशा में ही की जा सकती है यदि पृथ्वा नारंगी के समान गोल हो तो उत्तर अथवा दक्षिण दिशा में भी यात्रा होनी चाहिए तथा श्रास्ट्रलिया से निकल कर उत्तर में चीन, एशिया, उत्तर ध्रुव प्रदेश, केनेड़ा दक्षिण अमेरिका होकर दक्षिण ध्रुब लाँघ ' आस्ट्रेलिया में वापस आना चाहिए । किन्तु हम यह जानते है कि वहां तक ट्र ेन, स्टीमर अथवा एरोप्लेन द्वारा उत्तर दक्षिण को सीधी एक भी यात्रा आजतक नहीं हुई है । उत्तर ध्रुव को लांघा जा सकता है। पृथ्वी गोल न हो तो भी वह लांघा जा सकता है । परन्तु दक्षिणी ध्रुव लांघा नहीं जा सकता यदि पृथ्वी नारंगी के आकार में गोल हो तभी ऊपर दिखाये अनुसार उत्तर-दक्षिण की सीधी यात्रा हो सकती है । पृथ्वी नारंगी के प्राकार में मोल हो तो उत्तर-दक्षिण दिशा की सोघी यात्रा होनी हा चाहिए परन्तु हमारी जानकारी में इस प्रकार को उत्तर www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat +

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