Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 26
________________ ( २१ ) प्रकार उत्पन्न होता है इस पर थोड़ा विचार कर लें जिससे यह स्पष्ट हो जायगा कि यह यात्रा की मार्ग रेखा विलकुल सीधी न होकर वर्तुलाकार गोल है। उदाहरण के लिये जैसे - एक बड़ा सरोवर है, उसके किनारे चारों दिशाओं में चार द्वार हैं एक मनुष्य जलता हुमा दोपक लेकर सायकल पर बैठा हुआ सारे तालाव के चारों ओर गोल-गोल फिरता है । अ र एक मनुष्य तालाव के दक्षिणी किनारे पर स्थित दरवाजे के पास खड़ा है. दूसरा उत्तरों किनारे पर, तीसरा पूर्वी किनारे तथा चौथा पश्चिमी किनारे पर । तालाव बहुत बड़ा है और दीवक तालाव के किनारे पर ही दिखता है । जब कि सायकल पर बैठा हुप्रा मनुष्य दीपक लेकर उत्तरा किनारे की अोर होता है । तब पूर्वी किनारे पर खड़ा हुप्रा मनुष्य उसको देख सकता है और वह कुछ दक्षिणी किनारे की ओर पहुंचता है तब तक हो देख सकता है। इसी प्रकार चारों ओर खड़े हुए मनुष्य अपनी दो बाजुनों तक के दीपक देऊ सकते हैं। सोचिये कि जिस दिशा में दोपकः दिखाई देता है वह .पूर्व दिशा कहीं जाय तो नीचे लिखे अनुसार पूर्व दिशाएं होंगी। ___ जब दोपक वाली सायकल उत्तरी दरवाजे पर पहुचेगा तब पूर्वी दरवाजे पर खड़े हुए मनुष्य को दीपक दिखने का प्रारम्भ होने से उत्तरी दरवाजे का स्थान पूर्व दिशा ज्ञान होगो पूर्वी दरवाजे पर पायेगा तव दक्षिणो द्वार पर खड़े मनुष्य को वह दिखेगा अतः दक्षिणदिशा वाले को पूर्व प्रतीत होगी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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