Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 14
________________ चपटी है' ऐसा मानकर ही हमें इस नहर की योजना तैयार करनी हैं। आज यह नितान्त स्पष्ट है कि उनके द्वारा बनाई गई स्वेज-नहर आज तक अपने उसी रूप में है और पृथ्वी के मोड़ से उत्पन्न होने वाली किसी भी हानि से वह बची रही है।" इगलिश पार्लियामेन्ट के सभा गृहों में भी ऐसा स्थायी नियम हैं कि-नहरें आदि निकालने के उपयोग में काम में ली जाने वाली 'आधार रेखा' एक प्राडी रेखा होगी और सारे ही कार्य की लम्बाई में वह समान ही रखी जायगी। इसी प्रकार ऐरिक नहर लोकपोस्ट की रौटेचर तक ६० मील लम्बी है। इस नहर-के उभार की गोलाई ६१० फुट होनी चाहिए और दोनों सिरों की अपेक्षा मध्य का उठाव ५६ फुट होना चाहिए। किन्तु स्टेट इंजीनियरों की रिपोर्ट बतलाती है कि यह ऊँचाई ३ फुट से भी कम है तो यह क्यों ? मि० जे० आर० यंग 'नौकागसन' विषयक ग्रन्थ में कहते हैं कि-नौका का मार्ग गोलाकार सपाटी पर होते हुए भी हम सीधी समाटी पर उस मार्ग की लम्बाई सीधी रेखा के द्वारा प्रस्तुत कर सकते हैं तथा समतल नौकावहन का वह नियम है और यदि वक्र रेखा को सुरेखा से प्रस्तुत करना हो तो यह सर्वथा अशक्य है और इसीलिए ऐसा प्रतिपादन किया जाता है कि सुरेखा सुरेखा को ही प्रस्तुत करती है किन्तु वक्ररेखा को Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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