Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 12
________________ (७) ममय ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री लार्ड पालमर्स्टन ने सिविल इंजीनियर को संस्था के अध्यक्ष को लक्ष्य में रख कर जो वाक्य कहे थे वे भी बहुत स्मरणीय हैं । वे ये हैं सन् १८५५ में ब्रिटेन के प्रधान मन्त्री ने कहा था कि"मि प्रे िदेट. ___ 'फनिनाण्ड द लेसेप्स' नामक एक फ्रेंच इंजीनियर भूमध्य-समुद्र और लाल-समुद्र के बीच केवल १०० मोल का समुद्रो मार्ग तैयार करने के लिए क्यों परिश्रम कर रहा है यह मुझे समझायेंगे ? स्वेज से उत्तर की ओर यह नहर बनाने की बात है । इस योजना के सम्बन्ध में प्रापने सुना तो होगा? अवश्य सुना है साहब, तब फिर ब्रिटिश इंजीनियरों ने इस कार्य को क्यों नहीं अपने हाथो में लिया है ? संक्षेप में मुझे अरपको इतना ही कहना है कि यह तो ब्रिटेन को प्रतिष्ठा को कालिमा लब रही है।' ब्रिटेन के इंजीनियरों को संस्था के अध्यक्ष ने ब्रिटिश प्रधानमन्बा के समक्ष स्पष्टीकरण करने हुए कहा कि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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