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मैं और मेरे साथी ऐसा अभिप्राय रखते हैं कि-फ्रान्स के इन इजीनियरों की योजना आवश्य निष्फल होने वाली है। १०० मील जितने विस्तार में पृथ्वी के मुडाव द्वारा नहर के किनारे टूट जाएंगे । इस प्रकार की व्यवहार-हीन योजना के साथ अपना नाम जोड़ने की इच्छा ब्रिटिश इन्जिनियरों की नहीं है। "
इसका तात्पर्य यह है कि ब्रिटेन के प्रधान यन्त्री को वहाँ के इन्जीनीयरों द्वारा स्वेज नहर के कार्य को करने से इस लिए निषेध किया था कि वे पृथ्वी को गोल मानते थे, और उसकी गोलाई के कारण होने वाले मोड़ के द्वारा जो हानि होने वाली थी उसके अपयश से अपने को बचाना ही श्रेयस्कर मानते थे।
उपर्युक्त कथन को सन् १९५६ शुक्रवार दि० ६ जनवरी को 'गुजरात समाचार' में प्रकाशित "संसार सबरस" विभाग के सम्पादक ने लिखा था कि -
स्वेज-नहर का निर्माण पृथ्वी चपटी है' इस सिद्धान्त को लक्ष्य में रखकर ही हुवा। स्वेजनहर की योजना को हाथ हाथ में लेने से पूर्व उसके निर्माता फ्रेंच इन्जीनियर द० लेसेप्स ने अपने दो साथी इन्जीनियरों 'कीनत-बे , और 'मुगलबे' की स्पष्ट शब्दों में कहा था कि-मित्रो, 'पृथ्वी
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