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नही। मि० यंग की पानी की समतलता ( सपाटो ) के सम्बन्ध की विचारणा से हैं इससे यह फलित होता है कि यह सपाटी सीधी सपाटी है । अर्थात् पृथ्वी गोल नहीं है।
इन सबसे यह प्रमाणित होता है कि-पृथ्वी गोल नहीं है।
तथा यह बात सुप्रसिद्ध और निर्विवाद है कि विषुववृत्त के उतर में जिस किसी अक्षांश पर वर्फ जमा होती है उसकी अपेक्षा दक्षिण में उनने ही अक्षांश पर अधिक वर्फ गिरती है । और यह कहा जाता है कि ५० अंश पर दक्षिण में करग्यस लाइन में १८ प्रकार के पौधे विद्यमान रहते हैं जब कि १५ अंश उत्तर केन्द्र में ९७० प्रकार के पौधे मिलते हैं। इस मम्बन्ध में ये घटनायें यह बताती हैं कि दक्षिण प्रदेश में सूर्य का ताप उतने ही अंश पर पाये हुए उतर के प्रदेश में होने वाले ताप का अपेक्षा न्यून तीव्रता वाला होता है।
इस प्रकार जब को न्यूटन की सम्भावना के अनुसार यह सब गहन हैं, किन्तु 'पेरेलेक्स की गेटेकोक' फिजॉसफी के प्रकाश में लाये हुए सिद्वांत को सत्य घटनामों के साथ बराबर मिलान होता है । अतः यह भी एक प्रमाण है कि पृथ्वी गोल नहीं है।
पृथ्वी को गोल मानने में एक आपत्ति यह भी है कि---- हम विषुववृत्त को दक्षिण में यात्रा करते हैं तो उत्तर
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