________________
होना चाहिए। जैसे-कुरुक्षेत्र से कलकत्ता के समुद्र की सतह ६०० फीट नीची मानी गई है जिससे पूर्ववाहिनी गंगा नदी का बहाव १ मील में १ फोट के करीब सम्भव है, परन्तु पृथ्वी में गोलाकार मानने से कुरुक्षेत्र से कलकत्ता की भूमि ५२७००० फीट नीची होती है जो गणित द्वारा सिद्ध है ।* तब इतना नीचो पृथ्वी ह'ने से गंगा का बहाव अथवा पश्चिम वाहिनी सिन्धु नदी का वहाव कितना वेगपूर्ण होना चाहिए ? जो कि प्रत्यक्ष देखने पर अप्रमाणित ही ठहरता है।
उपर्युक्त विषयों में आधुनिक बैज्ञानिकों द्वारा यह समाधान दिया जा सकता है कि
पृथ्वी गोल अवश्य है किन्तु वह खराद पर उतरी हुई वस्तु के समान सर्वथा गोल न होकर सम-विषम रूप में है क्योंकि उसमें कहीं पहाड़ हैं तो कहीं भूमि के रीले हैं जो ऊँचे हैं । इसी प्रकार कहीं समुद्र हैं और कहीं झीले हैं जो नीचे हैं। अतः कुरुक्षेत्र की भूमि कलकत्ते और कराँची के समुद्र से *-पृथ्वी का ब्यास ८००० मील, परिधि २५००० मील मानी गई है। कुरुक्षेन से कलकत्ता ६०० मील और करांची ६०० मील दूर है जिसकी छोटी परिधि १८०० मील हुई । जीवा (रज्जू) कुछ कम होने से १७५० मील मानलें । इसका वाम ५७२००० फीट के करीब होने से कलकत्ता और करांची की भूमि कुरु क्षेत्र से ५७२००० फीट नीची होती है।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com