Book Title: Khavag Sedhi
Author(s): Premsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
________________
५७६ ]
प्राद्यांश:
थ
थोत्रा आसि अन्तरकिट्टी १९३ द दंडकवाड पर लोग पूरणाणि २३४ दलितु दिस्समाणं दलितु पडणं
१००
८५
दाणतरायण
४०
२०८
६९
६८
दीसइ अंतरपदमं
दीसइ दलि
देइ अवे
गाथाङ्कः
देव अतत्तो
देइ दलिअं अव्य०
न
नरतिरियइग जिंदि० निरयसुरविगलपुत्री०
प
पंचमसमये परे पढमं से पुरस पढमखणे देसोव समणा पढमसमये अनुवाणि पढमसुहुमाअ देइ दलं
पढमसुहुमाउ चरिमं पढमाणंतगुणिआ
पढमे ठिइखंडे पुण्णे पत्तेयथिरथिरणामाणं पणमिय सिरिपासजिणं परिणामट्ठाणाई
पुणे बंधेऽणुकमं पुण्णे हयकपणे आढवेइ पुरिसस्स अट्ठवरिसा पुरिसाईणं वे
पुचगफड्डाणं
पुव्वरइयक्रम्मं खबर पुत्राउ असंखंसाहिअं पंचमसमये परे
Jain Education International
१०३
१९८
१०५
१०८
२४०
२०
२४
७०
१९६
२००
८८
२६
२५९
१
५
३२
८०
५८
१०
२४८
२६२
१९९
२४०
द्वितीयं परिशिष्टम्
श्राद्यांश:
ब
बंधपसा वित्तए aroga कट्टीअ बंध तोकोडाफोडी बंधी उदओ णासो
गाथाङ्कः
बायरवयमण उसास० बीयकरण दमसमयओ
बीसमये कवाडे
• बीया रखणे बाइखणे असंख
अनुवा
Margar
भ
भवद्वाणं णिल्लो त्रण० भिन्नमुहुत्तं उदियाणं
म
१३१
१३३
१७
१७०
२४४
१२
२३६
१९७
१०२
२०९
र
रखंड को हाई रसको उखण्डे
रससंतं माणस्सऽप्पमद्द
रुम्भइ बायरमणवय०
ल
१६१
४२
मणत्रयणोरालाणं
९
२१३
१२४
मायाणासे लोहप माअ० १९४ मोहभाग मोहस्स देऊण मोहस्स पल्लमेत्तो मोहस्स संखवरिसा
१७३
३१
४४
६२
४८
६१
२४५
९८
लोहजहणगकिट्टिo लोहपमा तब्बियाए १९९ लोहस्स जहण्णगकिट्टित्तो लोहरुल पढमसंग किट्टी लोहस्स पुव्वड्डाणि
९९
५६
७७
For Private & Personal Use Only
[ मूलगाथानामाद्यांशाः
श्राद्यांशः
गाथाङ्कः
१९१
लोस्स विट्टत्तो लोहरस मुहतो बंधो २०३ लोहरस मुहुत्तो संख० २०४
व
चित्रेइ उत्थसमये २३८ बेइज्जता इठिईअ १६५ बेइज्ज माणकिट्टी दल० ११८ वेइज्जमानकिट्टीय पदम० १६९ वेइज्ज्रमाणकिट्टी र
११९
१७१
वेइज्ज माणगरस वोच्छिज्जन्ति छ हासाई बोच्छिन्ना सन्तुदया
२१
२२९
स
संकमओ व्वित्ति० संखंसेगतिभागुत्तर० संबंधणे
संगहअंतरजासु
गट्टी द संजलणजहण्णग० रांजणगस्स उ संत मोहस्संतो ढोठा पढमहिं संप अभव्वपाउग्गे
५०
२४२
बहुगो उपयो सत्तमछबिइयसमयेसु २४३ सत्तमसमये दंडे समयम्मि पहुड इगओ १५७ समयाहि आवलिसेसाअ ५७ समयाहियआवलिसेसम्म २१५ सायासायेसु पज्जत्ता १११ सुयाणं पयडी
४३ २४७
सुमं सरीरजोगं सुहुमकिट्टी वेयण कालत्तो २१८ सुमगुणत्तो गुणसेढी
२०६
सुहुमद्धाए संखेज्ज०
२१३
१३६
३०
२७
१३७
१२६
६३
१८२
१६
२२२
१४६
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786