Book Title: Khartargacchacharya Jinmaniprabhsuriji Ko Pratyuttar
Author(s): Tejas Shah, Harsh Shah, Tap Shah
Publisher: Shwetambar Murtipujak Tapagaccha Yuvak Parishad

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Page 17
________________ 1. मंदिर में कोई भी नई पूजनीय मूर्ति नही बिठाई जाएगी। 2. मंदिर में कोई भी खरतरगच्छीय गुरु मूर्ति नहीं बिठाई जाएगी। 3. मंदिर में तपागच्छीय आचार्यो ने जो-जो योगदान दिया है उनका उचित उल्लेख किया जाएगा एवं प्रतिष्ठा प्रसंग पर पधारे तपागच्छीय सभी आचार्यादि का नाम शिलालेख पर लिखा जाएगा। 4. तपागच्छीय अधिष्ठायक उज्जैन के सुश्रावक और अवन्ति पार्श्वनाथ की नित्य पूजा करनेवाले मणिभद्र यक्षराज को रंगमंडप में प्रतिष्ठित किया जाएगा। 5. तपागच्छाचार्य द्वारा प्रतिष्ठित तमाम प्रतिमाओं को रंगमंडपादि में योग्य स्थान पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। 6. तपागच्छीय पू. हंसविजयजी द्वारा प्रतिष्ठित श्री सिद्धसेन दिवाकर सूरिजी म.सा. की प्रतिमा श्री अवन्ति पार्श्वनाथ के सन्मुख रंगमंडप में प्रतिष्ठित की जाएगी। इस प्रकार मौखिक स्पष्टता खरतरगच्छाचार्य श्री मणिप्रभ सागरजी द्वारा दी गई / जिस चर्चा में आ. श्री हेमचन्द्रसागरसूरि म.सा., आ.श्री विश्वरत्न सागरसूरि म.सा., पं.श्री विरागचन्द्रसागरजी म.सा., गणि श्री पद्मचन्द्र सागरजी म.सा., मुनि श्री निरागचन्द्र सागरजी म.सा. एवं मेहुलप्रभा सागरजी म.सा. आदि अन्य खरतरगच्छीय मुनि भी उपस्थित थे। इस प्रकार तपागच्छ का गौरव बढाते हुए कार्य किया गया और इस कार्य में दूर रहते हुए भी तपागच्छ समिति के कार्यवाहक आ.श्री अभयदेव सूरि म., ज्योतिषसम्राट आ.श्री ऋषभचन्द्रसूरि म., आ.श्री अजयसागरसूरि म., आ. श्री विमलसागरसूरि म., आ श्री पुण्यरत्न सूरिजी म., आ. श्री अभयसेन सूरि म. एवं उज्जैन के सकल श्री संघो का महत्वपूर्ण सहयोग रहा / प्रभु वीर की अक्षुण्ण श्रमण परंपरा तपागच्छ सदा जयवंत रहे PoppODOp909009 6666666666666666660 mOODOOOOOOOOOOOK 600000000000000

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