Book Title: Khartargacchacharya Jinmaniprabhsuriji Ko Pratyuttar
Author(s): Tejas Shah, Harsh Shah, Tap Shah
Publisher: Shwetambar Murtipujak Tapagaccha Yuvak Parishad
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________________ उपसंहार विशेष सभी बातों पर चर्चा के बाद हम जान सकते है की आज विश्व चांद पर पहुंच गया है लेकीन कुछ स्वगच्छाग्रही जैनाचार्य अभी भी परगच्छद्वेष को जमीन पर लेकर बैठे है। वर्तमान समय एवं युवा वर्ग को नजर के सामने रखकर यह निर्णय लीया जाए की कीसी भी तीर्थ का जीर्णोद्धार हो या अन्य कोई मेटर तपागच्छीय प्रवर समिति के आज्ञा व मार्गदर्शन पूर्वक ही कीए जाने चाहिए / भविष्य में कभी संघर्ष ना हो ईस लीए सभी संघो को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए की भगवान महावीर के उत्तराधिकारी वर्तमान तपागच्छाचार्य है, उनके ही सान्निध्य में प्राचीन तीर्थो के जीर्णोद्धार होने चाहिए / ___गच्छवाद से मुक्त होकर हम सब जिनशासन का जयकार करें इसी 8 भावना के साथ... कीसी को बुरा लगा हो तो क्षमायाचना. - समस्त श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपागच्छ युवक परिषद