Book Title: Khartargacchacharya Jinmaniprabhsuriji Ko Pratyuttar
Author(s): Tejas Shah, Harsh Shah, Tap Shah
Publisher: Shwetambar Murtipujak Tapagaccha Yuvak Parishad

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Page 65
________________ जपत्रिका | 8/29 PD 8/29 अवंतिपार्श्वनाथ तीर्थ में हुए कार्यों को लेकर जैन संतों में उभरा असंतोष प्राचीन इतिहास मिटाने व ट्रस्ट द्वारा अपने ही नियमों को तोड़कर धोखा करने के आरोप कई जैनाचार्यों ने ट्रस्ट पारित प्रस्तावों पर अमल नहीं करने का आरोप लेकिन खरतरगच्छ के आचार्य व प्रतिष्ठा समिति पर मणिप्रभसागर सूरी ने यहां मनमाने एडवोकेट सुंदेचा ने बताया 21 जनवरी 2001 में मंदिर ट्रस्ट ने प्रस्ताव पारित कार्य कराकर समाज की धार्मिक उठाए सवाल किए थे, जिसमें तय हुआ था कि जीर्णोद्धार दौरान मंदिर परिसर में कोई नई भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इस प्रतिमाएं नहीं लगेंगी, किसी साधु-संत आदि के नाम के शिलालेख नहीं लगेंगे, संबंध में समय रहते जिला प्रशासन मंदिर जीणटार के नाम साथ ही मूलनायक प्रभु व आसपास की प्रतिमाएं मूल स्थान पर ही रहेंगी, से भी शिकायत की गई थी. बावजद मनमानी व प्राचीनता लेकिन प्रतिष्ठा दौरान इन प्रावधानों के साथ अन्य अनिवार्य तीर्थ नियमों का मनमानी की गई। खुला उल्लंघन हुआ है। खुद मंदिर ट्रस्ट ने अपनी ही प्रोसिडिंग के विरुद्ध का उड़ा मखौल 44 देहरियों पर चरण जाकर मनमाना कार्य किया और तीर्थ की प्राचीनता को मिटाया। इसको लेकर तपागच्छ प्रवर समिति व विभिन्न श्रीसंघों के जरिए वैधानिक कार्रवाई पादुका व नाम पत्रिका न्यूज नेटवर्क की तैयारी की जा रही है। मंदिर परिसर मेंकल्याण मंदिर स्त्रोत patrika.com की गाथा लिखने 44 देहरिया निर्मित उज्जैन अतिप्राचीन अवतिपार्श्वनाथ सागर सूरी, ज्योतिष सम्राट आचार्य ही आगाह किया गया था, लेकिन हुई है। इन पर 44 चरण पादुकाएं मंदिर जो देश के विख्यात 108 ऋषभचंद्र सूरी मोहनखेड़ा ने कड़ा फिर भी 18 व 19 फरवरी को हुए लगाकर सभी पर खतरगच्छ के पार्श्वनाथ मंदिर में विद्यमान है। यहां एतराज लिया है। समाज में उपजा प्रतिष्ठा कार्यक्रम में समिति व ट्रस्ट आचार्य ने अपने व श्राक्कों के नाम जीर्णोद्धार व पुनः प्रतिष्ठा दौरान हुए असंतोष मंदिर निर्माण के लिए करोड़ों प्रबंधन ने मनमानी की। प्रतिष्ठा में अकित किए है। अन्य जैनाचार्य को कायों ने श्वेतांबर जैन समाज में विवाद का दान देने वाले बड़े तीर्थ व ट्रस्टों शामिल होने आए आचार्य हेमचंद्र एतराज यह है कि जब ट्रस्टने किसी की स्थिति पैदा कर दी है। मूलनायक तक भी पहुंचा है। सागरसूरी ने इन मनमानियों को भी साधु-संत के नाम नहीं लिखना प्रभु के आसपास की तीन प्रतिमाओं श्वेतांबर जैन मालवा महासंघ लेकर अपनी नाराजगी प्रकट की है। तय किया था तो फिर ये उल्लंघन का उत्पाथन, प्राचीन इतिहासमिटाकर के एडवोकेट महेंद्र सुंदेचा के उनके अनुसार श्वेतांबर जैन क्यों हुआ। जो नियम बनाकर ट्रस्ट नई प्रतिमाएं व चरण पादुका लगाने अनुसार तपागच्छीय प्रवर समिति ने मूर्तिपूजक परंपरा केदो गच्छ होते हैं। ने देशभर के दानदाता व स्थानीय को लेकर आचार्य हेमचंद्रसागर मंदिर व्यवस्थापक अवतिपार्श्वनाथ अवतिपार्श्वनाथ मंदिर का इतिहास समाजजनों ने जो राशि ली यह उनसे सूरीश्वर बंधु बलेडी, आचार्य विश्वरत्न तीर्थ मारवाड़ी समाज ट्रस्ट को पहले तपागच्छ परंपरा के साथ जड़ा है। घोखा है। PoppODOp909009 6666666666666666660 600000000000000

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