Book Title: Khartargacchacharya Jinmaniprabhsuriji Ko Pratyuttar
Author(s): Tejas Shah, Harsh Shah, Tap Shah
Publisher: Shwetambar Murtipujak Tapagaccha Yuvak Parishad

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Page 15
________________ अवन्ति पार्श्वनाथ विषयक प्रत्युत्तर न् समस्त जैन श्वे. मूर्ति तपागच्छ श्री संघ / समस्त श्वे. मूर्ति. तपागच्छ प्रवर समिति / 2 विषय :- अवन्ति पार्श्वनाथ जैन मंदिर उज्जैन में आयोजित प्रतिष्ठा समारोह में ट्रस्ट एवं खरतरगच्छ द्वारा मनमानी के संदर्भ में। 1. विशेष में उज्जैन नगर में श्री अवन्ति पार्श्वनाथ जैन मंदिर जो कि 2000 वर्ष प्राचीन है और इस मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार आदि तपागच्छीय आचार्य भगवंतो द्वारा होता रहा है / उस के अनेक प्रमाण एवं शिलालेख वर्तमान में भी मोजुद है एवं कई ग्रंथो में प्रकाशित है। 2. वर्तमान में उस मंदिर का जीर्णोद्धार एवं पुनःप्रतिष्ठा खरतरगच्छ के आचार्य द्वारा करवाइ जा रही है जिनका तीर्थ से पूर्व कोई भी संबंध या इतिहास जुडा हुआ नही है। 3. इस तीर्थ के वर्तमान संचालक श्री अवंति पार्श्वनाथ मारवाडी जैन समाज ट्रस्ट द्वारा अनेक नियमो के साथ 21-1-2001 को खरतरगच्छाचार्य श्री मणिप्रभसागरजी को जीर्णोद्धार करने की स्वीकृति दी गई / जिनमें मुख्य नियम थे (इसकी प्रतिलिपि हमारे पास सुरक्षित है) - नीचे के गर्भगृह में सभी प्रतिमाएँ यथावत रहेगी। - मंदिर में किसी भी साधु या व्यक्ति का नाम नहीं आएगा। - मंदिर में कोई भी नई मूर्ति या गुरु मूर्ति नहीं लगेगी / लेकीन मौके __ पर वहाँ देखने पर सभी बातो का सरे आम उल्लंघन पाया गया। इस प्रकार के निवेदन द्वारा तपागच्छीय प्रवर समिति एवं शेठ आणंदजी कल्याणजी पेढी को भी भ्रमित किया गया / 1. नीचे के गर्भगृह में तपागच्छीय प्राचीन प्रतिमाओं को उठा दिया / S गया। 2. मंदिर में कोई जगह पर साधु और श्रावको के लेख लगाए हुए गया।

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