Book Title: Khartargacchacharya Jinmaniprabhsuriji Ko Pratyuttar
Author(s): Tejas Shah, Harsh Shah, Tap Shah
Publisher: Shwetambar Murtipujak Tapagaccha Yuvak Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ परिशिष्ट 1 श्रमण संमेलन के समय आ. मणिप्रभसूरिजी द्वारा लीखा गया पत्र एवं पत्रिका में दीया गया दुःखद लेख गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभसूरि पालीताना 31 मार्च 2016 पूज्य आचार्य भगवंत तपागच्छाधिपति श्री विजयप्रेमसूरीश्वरजी म., पू. गच्छाधिपति आचार्य श्री विजयहेमचन्द्रसूरीश्वरजी म., पू. गच्छाधिपति आचार्य श्री विजयजयघोषसूरीश्वरजी म., पू. गच्छाधिपति आचार्य श्री विजयअभयदेवसूरीश्वरजी म., पू. गच्छाधिपति आचार्य श्री दौलतसागरसूरीश्वरजी म. आदि समस्त आचार्य प्रवरों के श्रीचरणों में वंदना स्वीकार करावें। श्री सिद्धाचल महातीर्थ की पावन भूमि पर 1 मार्च से 12 मार्च 2016 तक वर्तमान समस्त गच्छों में प्राचीन खरतरगच्छ का महासम्मेलन विराट् आयोजन के साथ संपन्न हुआ। इस सम्मेलन के पश्चात् तपागच्छीय साधु सम्मेलन संपन्न हो रहा है। इस सम्मेलन पर संपूर्ण विश्व के जैन संघों की आशाभरी नजरें टिकी हैं। हम सभी जिनशासन रूपी विशाल वटवृक्ष की शाखाएं हैं। खरतरगच्छ, तपागच्छ, अचलगच्छ, पार्श्वचन्द्रगच्छ, त्रिस्तुतिक सभी परम्पराएं जिनशासन का अंग हैं। हमारे पास इस सम्मेलन में चर्चा करने के लिये जो 50 मुद्दे तय किये, उनकी प्रतिलिपि आई है। इस प्रतिलिपि पर आपश्री पांचों के हस्ताक्षर है, जो इन 50 मुद्दों की प्रामाणिकता को व्यक्त कर रहे हैं। हमने मुद्दे पढ़े। अच्छे, आवश्यक व उपयोगी लगे। पर ज्योंहि २वां मुद्दा पढ़ा, हमारा, संपूर्ण भारत के खरतरगच्छ संघ एवं युवा समाज का मन अतीव पीड़ा व आक्रोश से भर उठा। हम सोच भी नहीं सकते कि जिनशासन की एक विशाल शाखा के संचालक आचार्य भगवंतों द्वारा शासन की ही दूसरी शाखा पर ऐसा सर्वथा असत्य आरोप लगाया जा सकता है! मुद्वा नं. 28- अभ्यंतर आक्रमण बाबत खरतरगच्छ, स्थानकवासी, तेरापंथ, दिगम्बर आदि तरफ थी आपणा तीर्थों उपर, आपणा श्रावको उपर, आपणी प्राचीन नूतन संस्थाओ उपर भयंकर रीते आक्रमण थइ रहयुं छे. अत्यार सुधी अनेक तीर्थो संस्थाओ ज्यां आपणु विचरण-प्रभाव ओछो छे त्या खास] तेओ कबजे करी चूक्या छे तो आ बाबत मां रक्षण नां उपायो आपश्री ने लिखा हैं कि खरतरगच्छ ने भयंकर आक्रमण करके हमारे अर्थात् तपागच्छ के अनेक तीर्थों, संस्थाओं व श्रावकों को हड़प लिया है। आपका यह लिखना 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाली कहावत चरितार्थ करता है। जबकि इतिहास साक्षी है कि आज तक आक्रमण किसने किस पर किये हैं? यदि आप एक भी ऐसे तीर्थ का उदाहरण प्रमाण सहित हमारे सामने उपस्थित करते हैं, जो तपागच्छ का था और उसे खरतरगच्छ वालों ने आक्रमण करके हडप लिया तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि उसे तपागच्छ को सौंप दिया जायेगा। पर साथ ही आपको संकल्प-पूर्वक अपने संघ को आदेश देना होगा कि जो तीर्थ, संस्थाएं 99QROOPOST 6666666666666666660 DOOOOOOOOOOOOOK Booooooooo

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78