Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 517
________________ ३३५ अभयतिलक ग०० १२६, १३०, १३७ अमृतचन्द्र ग०वा० १६१, २०३, २०५, २१० अभयदेवसूरि [नवांगीटीकाकार] १, ८, ९, १२, अमृतधर्म २४१ १३, १४, १६, १७, १८, १९, २०, २२, २३, अमृतधर्मगणि वा० ३५३ २४, ३३, ३५, ३६, ३७, ३८, ३९, ४१, ४६, अमृतमूर्ति १२५ ९२, १७५, १८३, १८९, २२४, २६२, ४०० अमृतविजय [क्षेम०] अभयदेवसूरि [रुद्र०] २६१, २६४ अमृतविमल [जिनसिद्धिसूरि] ३०१ अभयमति ६४, ४०१ अमृतश्री -१५१, ४०५ अभयशेखर १५१ अमृतसमुद्र [क्षेम०] ३३५ अभयसागर २०३ अमृतसागर ३८१ अभयसुन्दर २३२ अमृतसार [कीर्तिरत्र०] ३५० अभयसोम [जिनभद्र०] ३४०, ३४१ अमृतसुन्दर [कीर्तिरत्न०] ३५०, ३५१ अमरकीर्ति १८७ अम्बड़ [जिनेश्वरसूरि द्वितीय] १३५ अमरकीर्ति गणि १२४, १२५ अर्जुन [अमृतधर्म] २४१, ३५३ अमरचन्द [आचार्य०] ३०३ अर्हद्दत्त गणि १२४ अमरचन्द वा० [क्षेम०] ३३४ अविचल श्री . ४१४ अमरनन्दनगणि वा० [क्षेम०] ३३३ अशोकचन्द्र गणि अमरप्रभ . १५९ अशोकचन्द्र मुनि अमरमाणिक्य वा० [सागरचन्द्र०] ३३७ अशोकचन्द्राचार्य ४० अमरमाणिक्य [जिनभद्र०] ३४२ आगमसिद्धि १३१, ४०२ अमरमुनि ३९८ आचारनिधि १२८ अमररत्न १५१ आज्ञासुन्दर अमरविजय २४५ आणंदचन्द्र [आचार्य०] ३०३ अमरविमल [आसकरण] [आचार्य०] ३०३ आणंदधीरगणि वा० [सागरचन्द्र०] ३३८ अमरविमल उ० [कीर्तिरत्न०] ३५० आणन्दराम [आद्य०] अमर श्री ४१० आणंदविजय .[बेगड़०] २७६ अमरसिन्धुर [क्षेम०] ३२७ आनन्दघन ३०६ अमरसी [आद्य०] २९२ आनन्दमुनि [कीर्तिरन०] .३५० अमराजी ३८१ आनन्दमुनि ३७८, ३९८ अमीचन्द [आचार्य शाखा] ३०५ आनन्दमूर्ति अमीपाल २३० आनन्दराज उ० [रुद्र०] २६४ अमृतउदय [मण्डो०] ३२३ आनन्दवर्धन २३१ अमृतचन्द्र १५१ आनन्दवल्लभ [क्षेम०] ३३० २८३ २९२ १४४ (४२७) खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास _Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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