Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 547
________________ १५१ १२८ १२४ २८४ १५६ ३४७ १५७ ३०७, ३५५ व्रतश्री विमलप्रभसागर ३७५ वीरप्रिय १३१ विमलप्रभाश्री ४१८, ४१९ वीरभद्र मुनि, गणि ५४, ११४ विमललाभ [जिनविमलसूरि] ३१० वीरमऊ पं० [सागरचन्द्र०] ३३८ विमलविनय [जिनभद्र०] ३४१ वीरमेरु [बेगड़.] २७४ विमलश्री ३६०, ४२०, ४२२, ४२३ वीरवल्लभ १२७ विमलसागर ___ ३७२, ३७४ वीरशेखर विमलाकुमारी [डॉ० विद्युत्प्रभाश्री] ३७१, ४२३ वीरसुन्दरी १३१,४०३ विवेककीर्ति [बालचन्द्राचार्य] ३२५ वीरानन्द विवेकप्रभ वृद्धिचन्द्र [जिनभद्र०] ३४०, ३४६ विवेकरत्नसूरि २८३, २८४ वृद्धिचंद ३८१ विवेकसिंहगणि [पिप्पलक०] वृद्धिसमृद्धि गणिनी विवेकवर्धन [जिनभद्र०] व्रतधर्मा [क्षुल्लिका] ४०५ विवेकवर्धनआश्रम ३४७ व्रतधर्मी विवेकविजय [बेगड़ जिनचन्द्रसूरि] २७६, २७७ व्रतलक्ष्मी १३१,४०३ विवेकविजय १५५ विवेकश्री सा० गणिनी १११, १२४, ४०२ शरच्चन्द्र विवेकसमुद्र [ग०, उपा०] १३१, १३७, १४४, शशिप्रभसागर ___ १४९, १५२, १५८, १६८, १७०, १९५, २०८ शशिप्रभाश्री ४१८ विवेकसागर [कीर्तिरत्न०] ३५०,३७८ शान्तमति १११, ४०१ विशालकीर्ति उपा० [सागरचन्द्र०] ३३७ विश्वकीर्ति शान्तमूर्ति वीरकलश गणि शान्तिचन्द्रगणि [अन्य ग०] ३६४ शांतिविजय योगिराज वीरचन्द्र ६२,१५३ वीरचन्द शान्तिसमाधि ३११ ३७४ वीरजय शान्तिसागर वीरजी [बेगड़० जिनचन्द्रसूरि] शान्तिसागरसूरि [विजयगच्छीय आ०] २५४, वीरतिलक शान्तिसागराचार्य २२० १२५ वीरदेव शान्तिसोम [जिनभद्र०] ३४४ वीरपाल [आचार्य०] शान्तिसौभाग्य [क्षेम०] ३०३ ३३१ वीरपुत्र आनन्दसागर ३५८, ३६०, ३६८, ३७५ शान्तिहर्ष [क्षेम०] ३२८, ३३२ वीरप्रभ मुनि, गणि १११, ११५, ११७, शालमंजरी ४०४ ११८, १२१, १२४, १३५ शिवचन्द्र २८५, २८६ १२५ ३७५ १५१ ३८ १२५ ४०३ २७७ ६२ खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास (४५७) Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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