Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 548
________________ ३७८ ३३४ २५७, ३३० ३३० १४२ १२६ ६४ २३२ ३१२ ३३४ ३३९ ३६ २६१ २६६ शिवचन्द्रगणि उ० महो० [क्षेम०] २५७, ३२९, शोभनसागर ___३३०, ३३१, ३३२ शोभाचन्द्र वा० [क्षेम०] शिवचन्द्रसूरि [पिप्पलक०] २८५ श्यामलाल गणि शिवजीराम ३५८, ३६३ श्यामलाल [क्षेम० सुमतिपद्म] शिवधर्म वा० [सागरचन्द्र०] ३३७ श्रीकलश शिवनंदनगणि उपा० [सागरचन्द्र०] ३३८ श्रीकुमार शिवनंदन [जिनभद्र०] ३४१ श्रीचंद्र शिवरत्न [आद्यपक्षीय] २९२ श्रीचन्द्र शिवराज [आद्यपक्षीय] २९२ श्रीचन्द्र शिवराज [क्षेम०] ३३३ श्रीचन्द्र [क्षेम०] शिवलाल [आद्यपक्षीय] २९२ श्रीचन्द्र [सागरचन्द्र०] शिवलाल [क्षेम०] ३३३ श्रीचन्द्रसूरि [अन्य ग०] शिवश्री साध्वी प्र० ४०८, ४२०, ४२२, श्रीचन्द्रसूरि [रुद्र०] ४२३, ४२४, ४२५ श्रीचन्द्रसूरि [लघुशाखा] शिवश्रीमंडल [साध्वी समुदाय] ४२५ श्रीतिलक [रुद्र०] शीर्षसमृद्धि ४०५ श्रीदेवी शीलचन्द्र वाचक २१७ श्रीधर [जिनेश्वरसूरि प्रथम] शीलचन्द्र [जिनभद्र०] ३४१ श्रीधर वा० [क्षेम०] शीलधर्मा १८९, ४०६ श्रीधर्मगणि [सागरचन्द्र०] शीलभद्र ४७ श्रीपति [बुद्धिसागरसूरि] शीलभद्र गणि वाचनाचार्य श्रीप्रभ शीलमंजरी [क्षुल्लिका] १४९ श्रीमती शीलमाला गणिनी १२४, ४०२ श्रीरंगसूरीयशाखा [खरतरगच्छ शीलरत्न १२६ की उपशाखा] शीलसमृद्धि १६० श्रीवल्लभ उपा० [जिनभद्र०] शीलसागर ६२, ८७ श्रीविजय शीलसुन्दरी गणिनी १२६, ४०३ श्रीसार पाठक [श्रीसारशाखाप्र०] शीलांक ३८ श्रीसार उपा० [क्षेम०] शुभचन्द्र २०२ श्रीसुन्दर शुभशीलगणि [पिप्पलक०] २८३ श्रीसूरि [मधु०] शुभसागर ३७८ श्रीसोम शृंगारश्री ४१० श्रीसोम गणि [क्षेम०] २६४ ६४, ४०१ ११ ३३४ ३३८ ४९ श्री ११ १११ ४७, ४९, ४०१ ३१४ ३४०, ३४५, ३४६ १२४ ३०९, ३१० ३२७ २३१ २६० २३२ ३३२ (४५८) Jain Education International 2010_04 परिशिष्ट-४ www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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