Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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३०५ १२४, ४०२
३९८ ३२७
३२५
२६४
१२४
३०६ ३४०,३४३
विजेन्द्रश्री
४२३ विनयमन्दिर [आचार्य शाखा] विजो [क्षेम०]
३३४ विनयमाला गणिनी विद्याकलश [सागरचन्द्र०]
३३७ विनयमुनि विद्याकीर्ति [लघुशाखा]
२६७ विनयमेरु [क्षेम०] विद्याकीर्ति [क्षेम०]
३२८ विनयरंग विद्याकुमारी [विनीताश्री]
४१६ विनयराजसूरि [रुद्रपल्लीय] विद्याचन्द्र
१२५ विनयरुचि गणि विद्यानन्द [तपागच्छ]
१३० विनयलाभ [आचार्य शाखा] विद्यानन्दन
३५५, ३७४ विनयविमल [जिनभद्र०] विद्यामति गणिनी
१२५, ४०२ विनयशील विद्याविजय [आचार्य०]
३०३ विनयश्री विद्याविजय मुनि [तपागच्छीय] ३६३ विनयसमुद्र मुनि, उ० विद्याविलास
२३८ विनयसागर विद्याविशाल वा० [क्षेम०]
३३४ विनयसागर [पिप्पलक०] विद्यासागर
२३२ विनयसागर उपा० विद्यासागर [बेगड़०]
२७६ विनयसागर मु० उ० महो० विद्यासार
२३२ विनयसिद्धि विद्युतप्रभाश्री
४२३ विनयसुन्दर विधीचन्द [जिनविमलसूरि]
३१० विनयसोम विनयकल्लोल [कीर्तिरत्न०]
३४९ विनयहर्ष वा० [सागरचन्द्र०] विनयचन्द
५४ विनयानंद गणि विनयचंद [सागरचन्द्र०]
३३७ विनीतसुन्दर विनयचन्द्र कवि [आचार्य०] ३०३, ३०४, ३०५ विनीताश्री विनयचन्द्रसूरि [अन्य ग०]
३८ विनोदश्री विद्वान् श्री प्रवर्तिनी
४२४ विबुधप्रभसूरि विनयधर्मा
१८९, ४०६ विबुधराज विनयप्रभ मुनि, उपा० १८५, १९८, २०९, विमल ग० उपा०
२१४, २१५, ३२७, ३३१ विमलकीर्तिगणि विनयप्रमोद [आचार्य शाखा]
३०६ विमलचन्द्र गणि, वा० विनयभद्र वाचनाचार्य
६४ विमलचन्द्र [आचार्य.] विनयभद्र [क्षेम०]
३३१ विमलचन्द्र [जिनभद्र०] विनयमति गणिनी
१२५, ४०२ विमलप्रज्ञ [मु०, उ०]
२५९ १३३, २२२
६२२ २८५
२५७ ३६५, ३७४ १३१, ४०३
१४५
२२२
३३८ १११
३८१
४१६ ४२१
१२९
९, १३ २३७, ३४२, ३४३ . ४६, ४९
३०६ ३४२, ३४३ १२८, १३९, १४०
(४५६)
परिशिष्ट-४
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