Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 550
________________ ३३८ ३३८ ३५९ सागरचन्द्रसूरिशाखा २९३ सुखलाभ उपा० [कीर्तिरत्न०] ३५० सागरानन्दसूरि [अन्य ग.] ___३९, ३६३ सुखवर्धन [क्षेम०] ३२९, ३३२ साधुकीर्ति ग० वा० उ० २२४, ३४०, ३४१, सुखविलास [सागरचन्द्र०] ३४२, ३४३ सुखसागर गणाधीश ३५५, ३५७, ३६९, साधुचन्द्र वा० २९३ __३९१, ४०८, ४०९, ४१०, ४२५ साधुचन्द्र वा० [सागरचन्द्र०] ३३७ सुखसागर समुदाय ३५२ साधुतिलक २१४ सुखसागर उपा० [कीर्तिरत्न०] ३५०, ३७४, साधुभक्त १२७ ३७७, ३७८, ३८० साधुरंग उपा० [आचार्य०] ३०६ सुखहेमगणि वा० [सागरचन्द्र०] साधुरंगगणि [क्षेम०] ३३१ सुखानन्द पं० [क्षेम०] ३३४ साधुलाभ वा० [सागरचन्द्र०] ३३७ सुगनजी ३५४ साधुसुन्दर उपा० २३७, ३४०, ३४२, ३४३ सुगुणकीर्तिगणि वा० [क्षेम०] ३३३ साधुसोम उपा० ३६, ३४०, ३४१ सुजसकीर्ति [सागरचन्द्र०] ३३८ साम्यानन्दमुनि ३९८ सुजाणमल [महो० सुमतिसागर] सारंग [जिनमाणिक्यसूरि] २२१ सुधाकलश १४१, १५१ सारंग [आचार्य.] ३०३ सुधर्मा स्वामी [गणधर] ५, १२८, १८१, १८९ सारमूर्ति १५७, १९८ सुन्दरबाई [सुवर्णश्री] ४११ सालगौ ३८१ सुन्दरमति १११, ४०२ सिंहश्री [शिवश्री] ४२०, ४२१, ४२२ सुन्दरश्री सिद्धकीर्ति गणि १२५ सुन्दरी १३६ सिद्धसेन २०७ सुबुद्धिराज मुनि, गणि १३१, १५१ सिद्धसेन १११ सुमति मुनि, गणि सिद्धसेन [जिनसागरसूरि] २३३, २३४, २९७ [प्र० जिनेश्वरसूरि शिष्य] ८, ९, १३, १८, २० सिद्धांजनाश्री ४१७ सुमतिगणि [जिनपतिसूरि शिष्य] ३९, १११, सिद्धान्तरुचि उपा० महो० ३४०, ३४१ ___ ११४, ११५, ११७, १२३ सिद्धिसोमगणि [क्षेम०] ३३३ सुमतिगणि [आचार्य०] २९८ सीमंधरस्वामी १२७, १२८, १३१ सुमतिकलश २२२ सुखकीर्ति [ क्षुल्लक] १४९, ४०४ सुमतिकल्लोल २३०, २३१, २३२ सुखकीर्ति गणि १८२ सुमतिकीर्ति .. १५० सुखकीर्ति [जिनसुखसूरि] २३९ सुमतिकीर्ति [आचार्य०] ३०३, ३०४ सुखनिधानगणि वा० [सागरचन्द्र०] ३३८ सुमतिधीर २२३ सुखमाल [आचार्य० जिनचन्द्रसूरि] २९९ सुमतिपद्म [क्षेम०] ३३० २९६ (४६०) परिशिष्ट-४ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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