Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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राजमेरु
राजललित
राजलाभ
राजविमल [ देवचन्द्र ]
राजशेखरगणि वा०
राजशेखराचार्य
राजश्री
राजसमुद्र
राजसमुद्र [जिनराजसूरि ]
राजसागर उपा० [आचार्य शाखा ]
राजसागर [जिनभद्र० ]
राजसागर वा० [कीर्तिरत्न० ]
राजसागर
राजसागरोपाध्याय [दिग्मम्०]
राजसार
राजसार
राजसिंह [जिनभद्र० ]
२१२ राजेन्द्रसागर
१२८
२११, २३२
३०६
१२९, १४६, १५१, १५४
१५६, १६६, १७०
३८८, ३८९
२३४, २३५
२९७
३०६
३४२
३५०
३५४, ३५५, ३५६, ३५७,
३५९, ३७४, ३७७, ४०८
३२४, ३२५
२३२
२९८
३४०, ३४२
२३२
२८५
३३८
२४०, २९८
राजसुन्दर
राजसुन्दर [ पिप्पलक० ]
राजसेन [ सागरचन्द्र० ]
राजसोम उ०
राजसोम [आचार्य० ]
३०३
राजसोमगणि उ० महो [क्षेम० ] ३३३, ३३५, ३५३
२३२
२६७
२३१, २३२
१२५, ४०२
१६९, १९५
१५९, १६४, १६६, १६८,
१७०, २०९
३९८
राजहंस
राजहंस [लघु खर० ]
राजहर्ष
राजीमती
राजेन्द्रचन्द्रसूरि
राजेन्द्रचन्द्राचार्य
राजेन्द्रमुनि
खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास
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राज्यवर्द्धन [ जिनवर्धनसूरि ]
रामकिसन [ क्षेम० ]
रामकीर्ति
रामकुमार
रामचन्द्र
रामचन्द्र
रामचन्द्र गणि वा०
रामचन्द्र [आचार्य० ]
रामचन्द्र ग०वा० [ क्षेम० ] रामचन्द्र श्रीपूज्य [ लोंकागच्छीय ] रामतिलकगणि [ उपकेशगच्छीय ]
रामदेव
रामदेवगणि
रामपाल [आचार्य० ]
रामवल्लभ वा० [ क्षेम० ]
रामविजय उ० महो० [क्षेम० ]
रामश्री
रामसागर
रायचन्द्र [आचार्य० ]
रायसागर
रायसिंह [जिनभद्र० ]
रावण [ जिनवर्धनसूरि ]
रुद्रपल्लीयशाखा
रूपचन्द [जिनरत्नसूरि]
रूपचन्द [ आद्यपक्षीय ]
रूपचन्द्र [आचार्य० ]
रूपचन्द [ क्षेम० महो० रामविजय ]
रूपचंद
रूपचंद [ स्थानकवासी मुनि ]
रूपचन्द्र [ दिग्मम्० राजसागरगणि]
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३७५
२१६, २८०
३३४
१५५
३८३, ३८५
१११
२३१, २३५
४७, ४९
३०३
३३०, ३३३
३१८
३८
१११
३६
३०३
३३४
२४०, ३२७,
३२९, ३३२, ३५३
३९०
३७४, ३७८
३०६
३७८
३४१
२८०
२६१
२३७
२९२
३०६
३२९, ३३४
३८१
३८५
३२५
(४५३)
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