Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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३३४
२१२ ३३२
३३२
रतनलाल
३१६ रत्नश्री गणिनी
३६७, ३९१, ४०२, रतनसागर ३७५
४०४ , ४०५ रतनसी [आचार्य० जिनविजयसूरि] २९९ रत्नश्री
४१२ रतनसी [क्षेम०]
३३४ रत्नशेखर वा० उ० [क्षेम०] रतिसागर ३७८ रत्नसागर
३७४ रत्नकलशगणि वा० [क्षेम०] ३३३ रत्नसागर
३७८ रत्नकीर्ति गणि
१२४ रत्नसमुद्र मु०ग० रत्नकीर्ति उ० [सागरचन्द्र०]
३३७ रत्नसागरगणि [क्षेम०] रत्नचन्द्र उ० [जिनभद्र०] ३४५, ३४६ रत्नसुन्दर
१५१ रत्नतिलक १२५ रत्नसुन्दर
२३२ रत्रधीर वा० [सागरचन्द्र०] ३३७ रत्नसुन्दर
३५६ रत्ननिधान मुनि १२८ रत्नसुन्दर [भाव०]
२९४ रत्ननिधान मु०उ०
२२७, २२८, २३१ रत्नसुन्दरगणि [क्षेम०] रत्नप्रभ गणि
१२४ रत्नसुन्दरी
१४५, ४०३, ४०४ रत्नप्रभसूरि [अन्य ग०] ३८९ रत्नसोम
२३७ रत्नमंजरी [क्षुल्लिका] मह० १४९, १५७, रत्नसोम [बेगड़०]
२७८ ४०४,४०५ रत्नाकर
१२८ रत्नमति १११, ४०१ रत्नाकर [आद्य०]
२९१ रत्नमालाश्री
४२३ रत्नाकर [जिनभद्र०]] रत्नमनि ३८३, ३८७, ३८८, ३८९, ३९३ रत्नाकरमुनि
३९०, ३९८ रत्नमूर्ति [जिनभद्र०] ३४१ रत्नावतार
१३१ रत्नराज [राजसागर] ३५६ रत्नावली गणिनी
१२५, ४०२ रत्नलाभ [जिनभद्र०]
३४२ रनोदयगणि [मण्डो० जिनचन्द्रसूरि] ३२२ रत्नवल्लभगणि महो० [क्षेम०] __३३३ रमाकुमारी [सुरंजनाश्री]
४१७ रत्नविजय [अन्य ग०] ३६५ रवीन्द्रसागर
३७४ रत्नविमल २३२ राउजी पं० [क्षेम०]
३३४ रत्नविमल ग० [क्षेम०] ३२८, ३३२, ३३४ राजकीर्ति [जिनभद्र०]
३४२ रत्नविलास
२२२ राजचन्द्र
१५०, १५८, १५९ रत्नविलास [क्षेम०]
३३० राजतिलक ग० वाचनाचार्य १३९, १४० रत्नविलास [रामचन्द्र] [क्षेम०] ३३२ राजदर्शन वाग०
१२९, १७० रत्नवृष्टि [सा०] ग०प्र० १२९, १४१, १५४ राजमुनि ३८३, ३८८,३९०, ३९१,३९८ रत्नश्री १११, १५० राजमूर्ति
२४३
३४१
(४५२)
परिशिष्ट-४
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