Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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१२५
२९२
जयधर्मगणि उ०
१८१ जयसिंहसूरि [बेगड़०] २७२, २७३, २७४ जयनंदन २२२ जयसुन्दर [जिनभद्र०]
३४४ जयपद्म [जयचन्द्र] ३४७ जयसुन्दरी
१५३, ४०५ जयप्रभा
१३९, ४०३ जयसेन गणि जगप्रिय
१९३ जयसोम उपा० महो० ५३, २११, २१७, जयमंजरी [क्षुल्लिका]
१४९, ४०४
२२७, २२८, २२९, ३२७, ३९६ जयमति ६४ जयसोमगणि [क्षेम०]
३३२ जयमंदिर २३२ जयसौभाग्यगणि [कीर्तिरत्न०]
३५१ जयरंग [जयतसी] [जिनभद्र०] ३४१ जयहंस
१५३ जयरत्न [आचार्य.]
३०३ जयानंदमुनि
३९४,३९६,३९८ जयरत्नसूरि [बेगड़] २७२ जयानंदसूरि [रुद्र०]
२६१ जयरुचि पं० [आद्य०] २९२ जयानन्दसूरि [बेगड़०]
२७०, २७२ जयरूप पं० [क्षेम०] ३३४ जवाहरलाल
३२३ जयर्द्धि मह० १५७, १६१, १६८, १७५, जसकुशल [आद्य०] २०५, ४०६ जसाजी [भगवानसागर के पिता]
३५८ जयलक्ष्मी
१२९, ४०३ जिणनाग जयलाभ [जिनभद्र०] ३४१, ३४७ जितयशाश्री
३७२ जयवन्त [आचार्य] ३०३ जिनउदयसागरसूरि
३६८,३७५ जयवंतश्री
४२३ जिनऋद्धिसूरि ३६५, ३८५, ३८७, ३९०, जयवल्लभ मु० ग० १३१,१५४,१५६,
३९३, ३९८ १६४, १६८ जिनकल्याणसूरि [जिनरंग०] ३०९, ३१४, जयवल्लभ [जिनभद्र०] ३४६
३१५, ३१६ जयवल्लभ महो० [बेगड़.]
२७९ जिनकवीन्द्रसागरसूरि ३६७, ३६८, ३७१, ३७४ जयशील
५४ जिनकांतिसागरसूरि ३६८, ३६९, ३७२, ३७३, जयश्री १९३, ४०६
३७४, ४१५, ४२३ जयसागर उपा० १९६, २१८, २१९, २८३, जिनकीर्तिसूरि [पिप्पलक०] २८०, २८४, २८५
३४०, ३४४, ३४५, ३४६ जिनकीर्तिसूरि [आद्य०] २८८, २९२ जयसागर
३७७ जिनकीर्तिसूरि [जिनकृपाचन्द्रसूरि] ३७७ जयसागरसूरि [कीर्तिरत्न०] ३५०, ३७८ जिनकुशलसूरि १४९, १५०, १६५, १६६, जयसार [क्षुल्लक]
१८१ १६८, १६९, १७०, १७१, १७४, १७५, १७६, १७७, जयसिंह
४९ १७८, १७९, १८१, १८२, १८३, १८५, १८६, १८७, जयसिंह [साधु]
१५२ १८८, १८९, १९०, १९१, १९३, १९४, १९५, १९६,
खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास
(४३५)
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