Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 531
________________ तिलोकसागर तीर्थसागर तीर्थयासागर तेजकरण [ तोलाराम ] [जिनकांतिसागरसूरि ] तेजकीर्ति गणि तेजश्री तेजसागर तेजसी [आचार्य० जिनचन्द्रसूरि ] तेजसी [क्षेम० ] तेजसुन्दर तेजोरङ्ग गणि [ जिनभद्र० ] त्रिदशकीर्ति ग० वा० त्रिदशानन्द त्रिभुवनकीर्ति त्रिभुवनसेन त्रिभुवनहित त्रिभुवनानन्द त्रिलोकचंद [ जिनभद्र० ] त्रिलोकनिधि त्रिलोकहित त्रिलोकानन्द त्रिस्तुतिक गच्छ त्रैलोक्यसागर मु० गणा० दयाकमल पं० [सागरचन्द्र० ] दयाकमल [जिनभद्र० ] दयाकलश [ जिनभद्र० ] दयाकुशल दयाकुशल वा०. [आचार्य० ] दयाकुशल [ क्षेम० ] दयाचन्द वा० [ क्षेम० ] खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास ३७८ दयातिलकगणि [ क्षेम० ] ३७४ दयाधर्म ३७३ ३०० ३३४ २३२ ३४५, ३४६ १२९, १५१ १३१ १५७ २२२ १५९ दयासिंह गणि [ क्षेम० ] १३१ दयासुन्दर [ मण्डो०] ३४१ दाखाबाई [ विचक्षणश्री ] १२८ दानराज १२६ १२६ ३२५ ३५८, ३५९, ३६०, ३६१, ३६६, ३७४, ३७५, ४१२ ३३७ Jain Education International 2010_04 दयाधर्म वा० [ सागरचन्द्र० ] दयानंदन [ जिनभद्र० ] ३६९ दयामूर्ति पं० [ क्षेम० ] २११ ४२१, ४२२ ३५८, ३७४ दयाराज [ क्षेम० ] दयालमुनि ३४१ दयाविजय [ आचार्य० ] दयाविमल [ आचार्य० ] दयाविमल दर्शनमुनि दयाशेखर दयाश्री दयासागर पं० [ आद्य० ] दयासागर वा० [ सागरचन्द्र० ] दयासिंह दानविनयगणि [ क्षेम० ] दानविशाल वा० [ क्षेम० ] दानविशाल [ कीर्तिरत्न० ] दानसार दानसागर गणि उपा० [जिनभद्र० ] दामोजी वा० [आद्य० ] दिवाकराचार्य दिवाकराचार्य [रुद्र०] ३४२ २३२ दिव्यगुणाश्री २९८ दिव्यप्रभाश्री ३३४ ३३४ दीपचन्द पं० [ क्षेम० ] दीपचन्द्र उपा० [आचार्य० For Private & Personal Use Only ३३२ २७१ ३३७ ३४१ ३३४ ३३४ ३९८ ३०३ ३०४ ३८३ ३९८ २३१ ३६७, ३८८ २९२ ३३७ २४१ ३२९, ३३२ ३२३ ४१३ २३१, २३२ ३३२ ३३४ ३५०, ३५१ २३२ ३४७ २९१ १४९, १६६, १७० २६४ ४१७ ४१९ ३३४ ३०६, ३०७ (४४१) www.jainelibrary.org

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