Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 532
________________ ३६८ १५० ३३८ १२५ १९ २५९ ३९८ दुर्लभसमृद्धि [सा०] १६०, ४०५ देवराज वा० [क्षेम०] दृढ़धर्मा [ क्षुल्लिका] ४०५ देवराज भंडारी [जिनउदयसागरसूरि] दृढ़धर्मी [सा०] १५७ देवलदे [कीर्तिरत्नसूरि की माता] ३४८ देवकरण [क्षेम०] ३३४ देववल्लभ देवकल्लोल [बेगड़०] २७२, २७४ देववल्लभ [सागरचन्द्र०] देवकीर्ति मु० ग० १११, १८७, २१४ देवविजय २३२ देवकीर्ति [जिनभद्र०] . ३४१ देवशेखर १२७ देवकुमार [क्षेम०] ३३४ देवश्री [प्रव०] ४२०, ४२१, ४२२ देवगुरुभक्त मु० १२६ देवसुन्दर उपा० [बेगड़॰] २७२ देवचन्द्र उपा० [आचार्य०] ३०५, ३०६, देवसुन्दरसूरि २६१, २६३, २६४ ३०७, ३९६ देवसेन देवजी भाई [जिनरत्नसूरि] ३८७, ३९३ देवाचार्य [चैत्यवासी आचार्य] ४९, ५०, १४४ देवतिलक १२६, २२२ देवानन्दसूरि देवतिलक वा० [सागरचन्द्र०] ३३७ देवेन्द्र [जिनचन्द्रसूरि] देवदत्त [क्षेम०] ३३५ देवेन्द्रदत्त १५७ देवधीर वा० [सागरचन्द्र०] ३३८ देवेन्द्रमुनि देवपाल गणि ४८ देवेन्द्रसागर ३७४ देवप्रभ ६५, १७० देवेन्द्रसूरि [रुद्र०] २६२, २६४ देवप्रभसूरि १९ देवेन्द्रसूरि [तपागच्छीय] ३९ देवप्रभा १४५ देवो [क्षेम०] देवप्रमोद १२८ देवोदय [सागरचन्द्र०] ३३८ देवभद्र ५४, १७७, १८१ दौलत [आचार्य०] देवभद्र ४०१ दौलतराम [आद्य०] २९१ देवभद्रसूरि ९, १२, १४, १९ द्रमकपुरीयाचार्य [अन्य ग०] १६२, १६३ देवभद्रसूरि २६१ द्रोणाचार्य [चैत्यवासी आचार्य] १६, १७ देवभद्राचार्य २०, २४, ३३, ४१, धन उपाध्याय ४२, ४३ धनपत [जिनकवीन्द्रसागरसूरि] ३६७ देवभद्राचार्य २६२ धनप्रभसूरि [मधु०] देवमुनि ३८४, ३९८ धनशील ६२ देवमूर्ति ग० वा० १२६, १३०, १३१, १४९ धनश्री ४०८ देवरत्न वा० [रुद्र०] २६४ धनसागर ३५८, ३७४ देवरत्न [जिनभद्र०] ३४१ धनेश्वर ८,९ ३३४ ३०३ २७५ २६० (४४२) परिशिष्ट-४ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596