Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 535
________________ ६५ १५७ पद्मरत्न पद्मरत्न पद्मचन्द्राचार्य [अन्यगच्छीय आचार्य] ५५, ५६, ६० पार्वतीकुमारी [मनोहर श्री] ४२४ पद्मदेव ८६ पार्श्वदेव गणि पद्मदेव [वा०] १४० पिप्पलिया शाखा ३१२ पद्मनाभ [भावी तीर्थंकर] १२७, १२८, २८७ पीयूषसागर ३६९, ३७३, ३७५ पद्मप्रभ १११ पुण्डरीक [प्रथम तीर्थंकर के गणधर] १३२, १४२ पद्मप्रभसूरि १९ पुण्यकलश [जिनभद्र०] ३४१ पद्मप्रभाचार्य [उपकेशगच्छीय आचार्य] ६५, ६६, पुण्यकीर्ति गणि १५१,१५८,१८२ ६७, ६८, ६९, ७०, ७१, ७२, ७४, ७५, ७६, पुण्यचन्द्र १५० ७७, ७९, ८०, ८२, ८३, ८४, ८६, १२३ पुण्यचंद महो० [आचार्य०] ३०३ पद्ममन्दिरगणि [कीर्तिरत्न०] ३५१ पुण्यतिलक १४९ पद्ममूर्ति १८९, १९४ पुण्यतिलक [आचार्य०] ३०३ पद्ममूर्ति [जिनपद्मसूरि] २०२, ४०६ पुण्यदत्त पद्ममेरु [जिनभद्र०] ३४१, ३४२ पुण्यधीर ग० वा० [कीर्तिरत्न०] ३४९ पद्मरंग २८९ पुण्यनंदि [सागरचन्द्र०] ३३६,३३७ १५१ पुण्यप्रधान ग० वा० २१२, २३०, २३१, २३५ २३२, ३०५, ३०६, ३०७ पद्मराज गणि २२० पुण्यप्रभ पद्मश्री १५५ पुण्यप्रभसूरि [बड़ गच्छ] २७४ पद्मसागर ३५७, ३७४, ३७८ पुण्यप्रिय १९३ पद्महंस १५३ पुण्यमाला ४०४ पद्महंस [जिनभद्र०] ३४७ पुण्यमूर्ति १४४, २१४ पद्महेम २३१ पुण्यरत्न पद्मावती [सा०] १३१, ४०३ पुण्यलक्ष्मी १५७,४०५ पन्नालाल [क्षेम०] ३३४ पुण्यविजय [तपागच्छ मुनि] पन्नालाल [प्रेम मुनि] ३८८ पुण्यविलास [आचार्य०] ३०३ पन्नीबाई [पुण्यश्री] ३६०, ४०९ पुण्यशील वा० [आचार्य०] ३०३ परमकीर्ति १५५ पुण्यशीलगणि [क्षेम०] ३२९, ३३२ परमानन्द १२५ पुण्यश्री [सा० म०] ३५९, ३६३, ३६७, ४०८, पवित्रचित्त १२८ ४०९, ४१०, ४११, ४१२, पवित्रश्री ४१९ ४१३, ४१८, ४१९, ४२५ पातालकुमार [जिनचन्द्रसूरि] २१० पुण्यसमुद्र वा० [सागरचन्द्र०] ३३७ पायचंदगच्छ ३२१ पुण्यसागर उपा० महो० ३६, २२०, २२१, २२४ १५९ २३८ ३४७ खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास (४४५) Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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