Book Title: Khartar Gacchha ka Bruhad Itihas
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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३३५
२६७
भानुप्रभ पं०
३९८
प्रेमसागर ३७४, ३७८ भगदानसागर
३५८,३५९,३६०, फतेचंद [सागरचन्द्र०]
३३८
३७४, ४१०, ४१२ बहुचरित्र
१२८ भद्रमुनि [सहजानन्द] ३९०, ३९२, ३९८ बालचन्द [क्षेम०] ३३१ भद्रमूर्ति
१८९ बालचन्द्र [बालचन्द्रसूरि]
३२५ भद्रशील
२११ बालचन्द्रसूरि [बालचन्द्राचार्य] ३२५, ३२६, ३५७
भरतकीर्ति
१२९ बाहु-सुबाहु स्वामी [विहरमान] १३१
भवानी [क्षेम०] बिदामी कुमारी [विद्वानश्री]
४२४ भवानीराम [आचार्य०]
३०३ बुद्धिमुनि ग० ३८४, ३९४, ३९५, ३९६, ३९८
भागचन्द [आचार्य०]
३०३ बुद्धिविमल पं० [सागरचन्द्र०]
३३८ भाग्यविलास [क्षेम०]
३३३ बुद्धिसमृद्धि
१२९, ४०३, ४०४
भानुतिलक [लघु ख०] बुद्धिसमृद्धि [ग० मह०] १४९, १६८
२१८, ३४१
भानुमुनि बुद्धिसागर मु०
भानुमेरु उ० [जिनभद्र०] बुद्धिसागरसूरि १२, १३
३४५, ३४६ भावदेव
१११, ११७ बुद्धिसागर गणि
भावनातिलक [सा०]
१२९ बुद्धिसागर [तपागच्छीय]
भावप्रभसूरि
२१६ बुधा [क्षेम०]
३३५ भावप्रभाचार्य
२१७ बृहत्खरतरगच्छ
३०७
भावमुनि ३८४, ३८८, ३८९, ३९०, ३९१, ३९८ बेगड़ा [विरुद]
भावमूर्ति
१८९ बोधा [आचार्य०]
३०३
भावशेखर उ० [बेगड़०] २७२, २७३, २७४ ब्रह्मचन्द्र ग० वा०
४७, ४९ भावसागर
३७४ भक्तिउदय [क्षेम०]
भावसागर गणि [जिनभद्र०]
३४६ भक्तिक्षेम [जिनभद्रसूरि]
२३९, २४० भावहर्ष गणि [भाव०]
२९३ भक्तिचन्द्र
३६५, ३७४
भावहर्षसूरि भक्तिमंदिर [बेगड़०]
भावहर्षीया शाखा
३१८ भक्तिमुनि ३९८ भीमजी [आचार्य०]
३०३ भक्तिरंग [क्षेम०] ३३५ भीमसागर
३७५ भक्तिलाभ उपा० [जिनभद्र०] ३४६ भुवनकीर्ति
१३९ भक्तिविलास [आचार्य०] ३०३ भुवनकीर्ति [जिनरंग०]
३०९ भगवानदास [आचार्य०]
३०३ भुवनकीर्ति ग०उ० [क्षेम०] ३२७, ३२८, ३३३ भगवानदास [भगवानसागर]
३५७ भुवनचन्द्र ग० वा०
२६९
३३५
३३७
२७६
(४४७)
खरतरगच्छ का बृहद् इतिहास Jain Education International 2010_04
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