Book Title: Kayvanna Shethno Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 4
________________ ( ३ ) ० ॥११॥ रंग रली वधामणां, मंगल गावे गोरी रे ॥ नानाविध नाटक करे, बांध्यां तोरण कोरी रे | नगरी० ॥ १२ ॥ कुलदीपक सुत जनमीयो, वाग्यां ताल कंसा जो रे || पहेली ढाल पूरी थई, जयतसी रंग रसाज़ो रे ॥ नगरी० ॥ १३॥ ॥दोहा॥ ॥ दशोटण देवांगना, करी सघनां विधि काम ॥ मावित्र दीधुं ननुं, कयवन्नो तस नाम ॥ १ ॥ दिनदिन वाधे चंड् ज्युं, चढते चढते वान || पांच धायें पाली जतो, लाड कोड बहुमान ॥ २ ॥ याव वरसनो ते थयो, नणे निशाल पोसाल ॥ सकल कला शीखी नजी, विद्यानो बहु ख्याल ॥ ३ ॥ सोनागी शिर से हरो, रूपें देव कुमार ॥ जणी गणी पंमित थयो, जोबनमें सुविचार ॥ ५॥ ॥ ढाल बीजी ॥ थाहारा महेला उपर मेह, ऊ रूखे वीजली हो लाल ऊ०॥ ए देशी ॥ ॥ वसुमती सती एकदिवस के, गजगति मलपती दो जाल के गजगति मलपती ॥ खाई प्रीतम पास, बोले जेम सरसती हो लाल ॥ बो० ॥ स्वामी सुलो घरदास, पूरो यारा माहरी हो जाल ॥५०॥ परणावो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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