Book Title: Kayvanna Shethno Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 2
________________ ॥श्री सर्वज्ञाय नमोनमः॥ ॥ अथ ॥ ॥ श्री कयवना शाहनो रास प्रारंनः॥ ॥ दोहा ॥ ॥ स्वस्तिश्री सुखसंपदा, दायक अरिहंत देव ॥ से व करूं सूधे मने, नाम जपुं नित्यमेव ॥ ॥ सम रुं सरसति सामिनी, प्रणमुं सदगुरु पाय ॥ कयवना चापै कहूं,दान धरम दीपाय ॥ २॥ प्रथम वही धुर मांमीयें, गौतम स्वामीनी लब्धि ॥ सुरगुरुसम श्रीप नय कुमर, मंत्रीतरनी बुद्धि ॥३॥ अखुट अत्रुट नं मार सब, शालिननी झदि ॥ कयवन्ना सौनाग्य तिम, नाम जीये दि सिदि॥॥ वारे श्रीमहावीर नै, श्री श्रेणिकने राज ॥ नोगी नमर नर. ए थयो, सायां आतम काज ॥ ५॥ ॥ ढाल पहेली॥ कर जोडी बागल रही ॥ए देशो॥ ॥नगरी राजगृही नली,सुर नगरी सम शोहे रे॥ राजा राज्य प्रजा सुखी, सुर नरनां मन मोहे रे ॥ न गरी० ॥ १ ॥ धनदत्त शेठ वसे तिहां,रि समृस. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 82