Book Title: Katantra Roopmala
Author(s): Sharvavarma Acharya, Gyanmati Mataji
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 357
________________ कृदन्तः ३४५ रेफात्परस्य निष्ठातकारस्य नकारो भवति नत प्रमर्छिमदिख्याध्याभ्यः 1 श हिंसायां। शीर्ण: शीर्णवान् । कीर्णः कीर्णवान् । गीर्ण: गीर्णवान् । प्रतिषेधः किम् ! पृ पूर्त: पूर्तवान् । मुर्छा मोह समुच्छाययोः । मूर्त: मूर्तवान् । मत: न डीवीदनुबन्धवेटामपतिनिष्कुपोरिति इप्रतिषेधः । ख्यात: । ध्यातः । निष्ठेटीनः॥६९७ ॥ निष्ठायामिटि परे इनो लोपो भवति। चोर्यतेस्म चोरित: चोरितवान् । कारित: कारितवान् ।। क्षुधिवसोश्चेति वर्तते। निष्ठायाच॥६९८ ॥ क्षुधिवसोनिष्ठायां वा नेट् भवति । लभो विमोहने ॥६९९॥ विमोहनेऽर्थे लुभो निष्ठानां वा नेट् भवति । क्षुधितः क्षुधितवान् । उषित: उषितवान् । लुभ गाध्ये लुभित: लुभितवान् । लुब्धः लुब्धवान् । पूजक्लिशोर्वा ॥७०० ।। पूषः दिलशच निष्ठायामिड् वा भवति । पूतः पूतवान् । पवितः पवितवान् । क्लिश् विवाधने । क्लिष्ट: क्लिष्टवान् । क्लिशित: क्लिशितवान्। न हीश्रीदनबन्धवेटामपतिनिष्कुषोः ॥७०१॥ डीङ श्वयतेरीदनुबन्धस्य व वेटस्य निष्ठायां नेड् भवति अपतिनिष्कुषोः । श-हिंसा करना “प्रदन्तेरगुणे" सूत्र से 'इर्' होकर 'इरूरोरीरूरौ' सूत्र से दीर्घ होकर नकार को णकार होकर शीर्ण: शीर्णवान् बना है। __ ऐसे ही कृ गृ में कीर्ण: गीर्णः इत्यादि। उपर्युक्त धातुओं का निषेध क्यों किया है ? पू-पूर्त:पूर्तवान् बनेगा। मूर्च्छ से मूर्त:, मूर्तवान् बनेगा, मद से मत्त: “न डीश्वीदनुबंध" इत्यादि ७०१ सूत्र से इट् का निषेध होकर ख्यात: ध्यात: बनता है। निष्ठा प्रत्यय के परे इद के आने पर इन् का लोप हो जाता है ॥६९७ ॥ चोर्यते स्म---चोरित: चोरितवान् । कारित: कारितवान् । 'क्षुधिवसोश' सूत्र अनुवृत्ति में चला आ क्षुध और वस से निष्ठा प्रत्यय के आने पर इद् विकल्प से होता है ॥६९८ ॥ विमोहन अर्थ में लभ से निष्ठा प्रत्यय के आने पर विकल्प से इट् होता है ॥६९९ ।। क्षुधित: क्षुधितवान् । वस को संप्रसारण होकर उषित: उषितवान् । लुभ्--द्धि करना । लुभित: लुभितवान् । इट् के अभाव में-लुब्धः लुब्धवान्। पू और क्लिश, से निष्ठा में इट् विकल्प से होता है ॥७०० ॥ पूत: पूतवान्, पवित: पवितवान् । क्लिश-क्लिष्ट: क्लिष्वान् 'छशोच्च' सूत्र से श्, को होकर “तवर्गस्य षटवर्गाट्टवर्ग:" सूत्र से टवर्ग होकर क्लिष्टः बना है। इट में क्लिशित: क्लिशितवान्। पति, निष्कुष को छोड़कर डीङ् श्वि और ईकारानुबंध से निष्ठा प्रत्यय के आने पर विकल्प से इट् होता है 1१७०१ ॥

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