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संरक्षण में विशेष रुचि है। आप एक उत्कृष्ट चिन्तक, सुश्रावक एवं व्यवसायी हैं। इस ग्रन्थ के प्रकाशन के लिए उदार आर्थिक सहयोग हेतु हम उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
इस ग्रन्थ के भाषा संशोधन एवं प्रूफ रीडिंग का गुरुतर कार्य डॉ. विजय कुमार, प्रकाशन अधिकारी, पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने सम्पादित किया है, एतदर्थ वे बधाई के पात्र हैं। इस कार्य में उनके सहयोगी रहे डॉ. सुधा जैन एवं श्री ओमप्रकाश सिंह भी निश्चय ही धन्यवाद के पात्र हैं।
प्रकाशन सम्बन्धी व्यवस्थाओं के लिए हम संस्थान के सह-निदेशक डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।
सुन्दर अक्षर-सज्जा तथा सत्वर मुद्रण के लिए क्रमशः श्री विमलचन्द्र मिश्र एवं वर्द्धमान मुद्रणालय बधाई के पात्र हैं। आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि लगभग अप्राप्य हो गयी यह महत्त्वपूर्ण पुस्तक निश्चय ही विद्वत्वर्ग एवं सामान्य स्वाध्यायियों हेतु परम उपयोगी सिद्ध होगी ।
दिनांक १६.०६.०८
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डॉ. सागरमल जैन
सचिव पार्श्वनाथ विद्यापीठ
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