Book Title: Karm Vignan Part 04
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 4
________________ (२) श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय का ३०६वां रत्न * कर्म-विज्ञान (चतुर्थ भाग) || (कर्म प्रकृतियों का विवेचन) * लेखक श्रमण संघ के तृतीय पट्टधर आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि * सम्पादक | विद्वद्रत्न मुनिश्री नेमिचन्द्र जी 15 * प्रस्तावना डॉ. कल्याणमल लोढा * प्रथम आवृत्ति वि. सं. २०५० चैत्र शुक्ल पंचमी (चादर महोत्सव समारोह) २८ मार्च १९९३, उदयपुर * प्रकाशक/प्राप्ति स्थान श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय, शास्त्री सर्कल, उदयपुर-३१३००१ * मुद्रण श्री संजय सुराना द्वारा कामधेनु प्रिंटर्स एण्ड पब्लिशर्स, ए-७, अवागढ़ हाउस, एम.जी. रोड, आगरा-२८२००२, फोन ६८३२८ * मूल्य | : अस्सी रुपया मात्रः सपत मूल्य से भी कम Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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