Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 07
Author(s): Arunvijay
Publisher: Jain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha

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Page 46
________________ - चार को ही धर्म मानकर चलता है । जैसे अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह तथा दया-दान-शीथल-भाव, तप-तपश्चर्या, यमनियम, संयम-व्रत, महाव्रत, पच्चक खाण विरती, भक्ति आदि धर्म के किसी भी प्रकार में श्रद्वा या रुचि नहीं रखता है। क्योंकि धर्म से आत्मा का कल्याण होता है, या मोक्ष होता है ऐसी बात वह नहीं मानता है, क्योंकि मूलतः आत्मा या मोक्षादि को ही नहीं मानता है, फिर आत्मा के कल्याण या मोक्ष की बात ही कहां रही ? अतः वह व्रत-महाव्रत से विपरीत मौज-शौक में एवं तप-तपश्चर्या से विपरीत खान-पान में, यम नियम संयम से विपरीत-हिसा झूठचोरी आदि में, ब्रह्मचर्य से विपरीत, रंग-राग में एवं भोगादि में मस्त रहना, ऐसा विपरीत रूप मानता है। न मांसभक्षणे दोषो न मद्ये न च मैथने । . प्रवृत्तिरेणा भूतानां, निवृत्तिस्तु महाफला ॥ वह मानता है कि मदिरापान-शराब पीने में कोई दोष नहीं है, न मांस खाने में दोष है, नजूआं खेलने में दोष है और नही मैथुन सेवन करने में पाप है, इसलिए जब तक जीना है, सुख पूर्वक जीना है, चाहे सिर पर कर्ज करके घी पीकर भी जीना पड़े । इस तरह मिथ्यात्वी जीव किसी में पाप मानने को तैयार नहीं है । वह ऋण-कर्ज बढ़ाकर भी घी पीने के लिए तैयार है। उसी तरह पापों का सेवन करके भी सुख से जीने के लिए तैयार है। मिथ्यात्वी की ऐसी विपरीत अज्ञानवृत्ति एवं पापबुद्धि उसके आचार-विचार और व्यवहार में हमेशा ही स्पष्ट दिखाई देती है। इस तरह मिथ्यात्वी जीव ज्ञान एवं श्रद्धा के विषय में तथा चरित्र (आचार क्रिया) के विषय में, विपरीत मिथ्यावृत्ति वाला ही रहता है। मिथ्यात्व और प्रज्ञान मिथ्यादर्शन का लक्षण --"अतत्त्वे तत्त्वबुद्धिरूपत्वं मिथ्यावर्शनस्य लक्षणम्" अतत्त्व अर्थात् जो पदार्थ तत्त्व रूप नहीं है, उनमें तत्त्वपने की बुद्धि रखना यह मिथ्यादर्शन कहलाता है। यहां दर्शन शब्द दृष्टि अर्थात् देखने के अर्थ में प्रयुक्त है, इसलिए मिथ्यात्वी को देखने की वृत्ति या दृष्टि हमेशा ही विपरीत रहती है । अतः वह अतत्त्व में तत्त्व देखने की कोशिश करता है, क्योंकि उसकी ऐसी मिथ्याबुद्धि अज्ञानता के कारण रहती है। अज्ञान का लक्षण करते हुए बताया है किमिथ्यात्वमोहोदये सति अतत्त्वज्ञानरूपत्वमज्ञानस्य लक्षणम् । मिथ्यात्वमोहनीय कर्म कर्म की गति न्यारी

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