Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 07
Author(s): Arunvijay
Publisher: Jain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha

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Page 104
________________ (द) पोद्गलिक सम्यक्त्व अपौद्गलिक सम्यक्त्व इस तरह चार प्रकार ( अ, ब, स, द) से दो प्रकार के भेद किये गये हैं । (३) अ तीन प्रकार से सम्यक्त्व कारक सम्यक्त्व (ब) औपशमिक सम्यक्त्व औपशमिक सम्यक्त्व 19 निसर्गरुचि औपशमिक क्षायोपशमिक सम्यक्त्व सम्यक्त्व दो प्रकार से सम्यक्त्व उपदेशरुचि रोचक सम्यक्त्व तीन प्रकार से सम्यक्त्व क्षायोपशमिक सम्यक्त्व क्षायोपशमिक सम्यक्त्व चार प्रकार से सम्यक्त्व T पांच प्रकार से सम्यक्त्व क्षायिक सम्यक्त्व क्षायिक सम्यक्त्व दश प्रकार से सम्यक्त्व I | ३ आज्ञारुचि सास्वादन सम्यक्त्व |४ सूत्ररुचि 15 |९ क्रियारुचि संक्षेपरुचि दीपंक सम्यक्त्व क्षायिक सम्यक्त्व सास्वादन सम्यक्त्व ५ बीजरुचि वेदक सम्यक्त्व | १० धर्मरुचि अधिगमरुचि विस्ताररुचि इस तरह भिन्न-भिन्न तरीकों से सम्यक्त्व का स्वरूप समझने के लिए संख्या निमित्तक भेद बताये हैं इनका स्वरूप संक्षिप्त रूप से समझने के लिए कुछ विचार करना यहां आवश्यक है । १०२ कर्म की गति न्यारी

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