Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 15
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 354
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१५ ३३९ सुपात्रदानफल स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: उसभस्सय पारणए इक्खुर; अंति: भरहे साहु न सीयंति, गाथा-५. ६३. पे. नाम. गौतम स्तुति, पृ. ३२आ, संपूर्ण. गौतमस्वामी स्तुति, सं., पद्य, आदिः सर्वारिष्टप्रणाशाय: अंति: गौतमस्वामिने नमः, श्लोक-१. ६४. पे. नाम. सरस्वती स्तोत्र, पृ. ३२आ, संपूर्ण. शारदादेवी स्तुति, सं., पद्य, आदि: प्रथम भारती नाम; अंति: सा जयतु सरस्वती देवी, श्लोक-७. ६५. पे. नाम. सोलह सती नाम, पृ. ३२आ-३३अ, संपूर्ण. १६ सती स्तुति, सं., पद्य, आदि: ब्राह्मी चंदनबालिका; अंति: कुर्वंतु वो मंगलम्, श्लोक-१. ६६. पे. नाम. धर्मोपरि गाथा, पृ. ३३अ, संपूर्ण. श्लोक संग्रह जैनधार्मिक , प्रा.,सं., पद्य, आदि: धम्मो मंगल मूलं सव्व; अंति: जिणंदवर सासणे बोहे, श्लोक-५. ६७. पे. नाम. दुमपुफ्फियानामज्झयण, पृ. ३३अ, संपूर्ण. ___ दशवैकालिकसूत्र-हिस्सा द्रुमपुष्पिका प्रथम अध्ययन, आ. शय्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, आदि: धम्मो मंगलमुक्किट्ठ; अंति: साहुणो त्तिबेमि, गाथा-५. ६८. पे. नाम. बृहद्शांति स्तोत्र, पृ. ३३अ-३५आ, संपूर्ण. बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: पूज्यमाने जिनेश्वरे. ६९. पे. नाम. नमस्कारमंत्र प्रभाव स्तवन, पृ. ३५आ-३७अ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र पद, आ. जिनवल्लभसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १२वी, आदि: किं कप्पतरु रे आयाण; अंति: तणी सेवा देज्यो नित, गाथा-२६, (वि. प्रतिलेखक ने एक गाथा को दो गाथा गिना है.) ७०. पे. नाम. नवग्रहजिन स्तोत्र, पृ. ३७अ-३७आ, संपूर्ण. ग्रहशांति स्तोत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, सं., पद्य, आदि: जगद्गुरुं नमस्कृत्य; अंति: ग्रहशांतिविधिर्मतः, श्लोक-१२. ७१. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तोत्र, पृ. ३७आ-३८अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-नवग्रहस्तुतिगर्भित, आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, वि. १४वी, आदि: दोसावहारदक्खो नालिया; अंति: जिणप्पहसूरि०न पीडति, गाथा-१०. ७२. पे. नाम. सप्ततिशतजिन स्तोत्र, पृ. ३८अ-३८आ, संपूर्ण. तिजयपहुत्त स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: तिजयपहुत्तपयासय अट्ठ; अंति: निब्भंतं निच्चमच्चेह, गाथा-१४. ७३. पे. नाम. शांति स्तोत्र, पृ. ३८आ-३९आ, संपूर्ण. लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७. ७४. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३९आ-४२अ, संपूर्ण. जयतिहअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: जय तिहुअणवरकप्परुक्ख; अंति: विण्णवइ अणिदिय, गाथा-३०. ७५. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. ४२अ-४५अ, संपूर्ण. आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: मानतुंग० लक्ष्मीः , श्लोक-४४. ७६. पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. ४५अ-४८अ, संपूर्ण. आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, वि. १वी, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: कुमुद० प्रपद्यते, श्लोक-४४. ७७. पे. नाम. वीरजिन स्तवन, पृ. ४८अ-५०अ, संपूर्ण.. महावीरजिन स्तव-समसंस्कृत, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा.,सं., पद्य, आदि: भावारिवारणनिवारणदारु; अंति: दृष्टिं दयालो मयि, श्लोक-३०. ७८. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ५०अ-५२अ, संपूर्ण. दरिअरयसमीर स्तोत्र, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: दुरिअरयसमीरं मोहपंको; अंति: सया पायप्पणामो तुह, गाथा-४४. ७९. पे. नाम. सप्तस्मरण, पृ. ५२अ-६०अ, संपूर्ण. For Private and Personal Use Only

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