Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 15
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 416
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१५ www.kobatirth.org ४०१ शीतलजिन स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति भणे श्रीजिनलाभसूरिद, गाथा-४, (पू. वि. गाथा २ अपूर्ण से है.) ५. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तुति, प्र. २४- २४आ, संपूर्ण आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: निरुपम सुखदायक, अंतिः श्रीजिनलाभसूरिंदा जी गाथा ४. ६. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ नमस्कार, पृ. २४आ, संपूर्ण. शत्रुंजयतीर्थ चैत्यवंदन, मा.गु., पद्य, आदिः श्रीसेतुंजो सिद्ध, अंतिः जिनवर करूं प्रणाम, गाथा- ३. ७. पे. नाम. सीमंधरजिन दूहा, पृ. २४-२५अ, संपूर्ण. मा.गु., पद्य, आदि: अनंत चोवीसी नित नमु; अंतिः ते प्रणमुं नीशदीश, गाथा - ३. ८. पे. नाम. अष्टमी स्तुति, पृ. २५अ, संपूर्ण अष्टमीतिथि स्तुति, आ. जिनसुखसूरि, मा.गु., पद्य, आदि चोवीसे जिनवर प्रणमुं, अंति: इम जीवित जनम प्रमाण, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाथा-४. ९. पे नाम. पर्यूषणा स्तुति, पृ. २५ अ- २५आ, संपूर्ण. पर्युषण पर्व स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि बलि वलि हुं ध्यावुं: अंतिः कहै जिनलाभसूरींद, गाथा-४. १०. पे. नाम. महावीरजी स्तुति, पृ. २५-२६अ, संपूर्ण. महावीरजिन स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि मूरति मनमोहन कंचन, अंति: इम श्रीजिनलाभसूरिंद, गाथा-४. ११. पे नाम. स्नात्र विधि, प्र. २६-३१अ संपूर्ण. स्नात्रपूजा विधिसहित, ग. देवचंद्र, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: चोतिसे अतिसय जुओ वचन, अंतिः देवचंद० कही सूत्रमझार, डाल-८, गाथा- ६०. १२. पे नाम, अष्टप्रकारी पूजा दूहा, पृ. ३१अ ३२आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. ८ प्रकारी पूजा दूहा, प्रा., मा.गु., पद्य, आदि: अह पडिभगापसरं पयाहिण, अंति: (-), (पू. वि. शांतिजिन आरति गाथा ३ अपूर्ण तक है.) ६२३६०. आबू तीरथमाला, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ८, जैवे. (२८४१३, १३४४३-४७). " अर्बुदगिरि तीर्थमाला, मु. उत्तमविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८७९, आदि: अरबुदगिरि अंतरजामी; अंति: निधि रिद्धिसीद्धि रे, डाल- १३. ६२३६१. सिद्धवेली, संपूर्ण वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ८ ले स्थल, पेथापुरनगर, प्रले. श्राव जेसींग साकरचंद, प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. श्रीसुवधीनाथ प्रासादात्., जैवे. (२८४१३, ११-१४४३२-३६). शत्रुंजयतीर्थ वेल, मु. उत्तमविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८८५, आदि: पासतणा पदकज नमी समरी, अंति उतमविजय०गिरि गायो रे, ढाल - १३. ६२३६२. मौनएकादशी कथा, संपूर्ण, वि. १९३२, वैशाख शुक्ल, ९, श्रेष्ठ, पृ. ६, प्रले. ठाकोर मायाराम भोजक; पठ. मघा मयाराम ठाकोर भोजक, प्र.ले.पु. सामान्य, दे. (२८.५४१३, १२४२८). मौनएकादशीपर्व व्याख्यान, मा.गु., गद्य, आदिः श्रीमहावीरस्वामी चरम, अंति: सांभलीने प्रमाण कधी.. ६२३६३. पद गीत व स्तवनादि संग्रह, अपूर्ण, वि. १८७०, मार्गशीर्ष शुक्ल, ३, गुरुवार, मध्यम, पृ. १४-६ (१ से ६ ) = ८, कुल पे, ९६, प्र. मु. भागचंद्र, अन्य मु. भेरुलाल (गुरु मु. भागचंद्र), प्र. ले. पु. सामान्य, प्र. वि. अंतिम पत्र पर पत्रांक नहीं है., जीवे., (२७४१३, १६-२९×३२-५५). १. पे. नाम. जिनकुशलसूरि गीत, पृ. ७अ अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र हैं. नवपद स्तवन, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: नितप्रति नमत कल्याण, गाथा-५, ( पू. वि. गाथा २ अपूर्ण से है.) २. पे. नाम महावीरजिन स्तवन, पृ. ७अ, संपूर्ण. मु. जिनचंद, पुहिं., पद्य, आदि जग तारक श्रीवीरप्रभु, अंतिः जिनचंद० सदा नित साया, गाथा-५. For Private and Personal Use Only

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