Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 15
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.१५
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औपदेशिक पद, रघुवीर प्रसाद, पुहिं. गा. ४, पद्य, वै., ( इश्क का करना सहजन), ६०७९८-१ औपदेशिक पद, मु. रामरतनशिष्य, पुहिं., दोहा ४, पद्य, वे., (हिरवे बाणज लागो उरो), ६२२६६-८ (+) औपदेशिक पद, मु. रूपचंद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (आपे खेल खेलंदा), ५९८८३-५ (#) औपदेशिक पद, मु. रूपचंद, पुहिं, गा. ६, पद्य, भूपू (क्या करूं मंदिर क्या), ६००२५-७९(+०) औपदेशिक पद, मु. रूपचंद, मा.गु., गा. ७, पद्य, मूपू., (समकित विन जीव संसार), ६२३७५-३८(+) औपदेशिक पद, म., पद्य, वै., (जनम्हणती बाबा बाबा), ६०७९८-७८($)
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औपदेशिक पद, पुहिं गा ३, पद्य, श्वे. ( जागि जागि रेन गइ भोर), ५९८८३-३ (०)
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औपदेशिक पद, पुहिं. गा. ३, पद्य, खे,
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औपदेशिक पद, मा.गु., गा. २, पद्य, मूपू., (जीवा जीव न मारिइ जीव), ६२४००-८(+8) (तेरे घट में हे फुलवा), ६२३६३-८ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (नव नय के ताल बजाय), ६२३६३-७२ औपदेशिक पद, पुहिं. गा. ३, पद्य, भूपू (पावै सोई सुखधाम जाकु), ६२३७५-२४(१) औपदेशिक पद, पुहिं., दोहा. ४, पद्य, मूपू., (बिना जिनराज को देखे ), ६००७९-९ औपदेशिक पद, पुहिं. गा. ४, पद्य, मूपू., (वा की ममताने धूम मचा), ६२३७५-२६(+)
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औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (संत चरणकी जाउ बलिहार), ५९८७०-१८ औपदेशिक पद, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (होरी खेलो रे भविक), ६२३७५-२(+) औपदेशिक पद- अनाथ, मु. परमानंद, पुहिं, दोहा ५, पद्य, थे. (रो रो करे अनाथ पुकार), ६००७९-१५ औपदेशिक पद- अवसरवादिता परिहार, पुहिं. दोहा ४, पद्य, खे, (सब पैसे के भाई रे), ६००७९-५७ औपदेशिक पद- अहंकार परिहार विषे, पुहिं. दोहा ४, पद्य, ., (सुनो मित्र हमारा ), ६००७९-४३ औपदेशिक पद-आलस परिहार, पुहिं., दोहा. ३, पद्य, श्वे., ( उठो जरा नींद को), ६००७९-३८ औपदेशिक पद- उद्यम महिमा, मु. परमानंद, पुहिं., दोहा. ६, पद्य, श्वे. (उद्यमकर उठके प्यारे), ६००७९-५
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औपदेशिक पद-कपट परिहार, मा.गु., दोहा. २, पद्य, श्वे., ( बापा ज्यां छे कपट), ६००७९-६४
औपदेशिक पद - कायाअनित्यता, मु. जिनहर्ष, पुहिं. गा. १, पद्य, मूपू. (काहे काया रूप देखी), ५९८७०-३१
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औपदेशिक पद चतुर नारी, दलपतराम, पुहिं. गा. १४, पद्य, ओ. (एक घरमाहवी रे घर), ६०७९८-२८
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(जरा हो जाना हुशीयार), ६००७९-१० (मांडीरी घंटा घरररर), ५९८७०-१९
औपदेशिक पद - जीवहिंसा परिहार, पुहिं, दोहा ६, पद्य, औपदेशिक पद-धुम्रपान परिहार, पुहिं, दोहा ४, पद्य, श्वे. औपदेशिक पद - नारी परिहार गर्भित, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे. औपदेशिक पद-निंदा त्याग, कबीर, पुहिं., दोहा. ५, पद्य, वै., (निंदक तुं मत मरजे रे), ६२२६६-७(+) औपदेशिक पद- निर्गुण इस्क, रघुवीर प्रसाद, पुहिं., गा. ४, पद्य, वै., (तेरे लिये हरदम), ६०७९८-२ औपदेशिक पद-परमार्थ, जै.क. बनारसीदास, पुहिं., पद. ४, पद्य, दि., (जिसने नहीं कुछ दिया), ६०७९८-७
औपदेशिक पद-पाखंडी बाबा परिहार, भोजाभगत, पुहिं., दोहा. ३, पद्य, वै., (जो इस जगत में एवा), ६०७९८-७६ औपदेशिक पद-प्रमाद परिहार, पुहिं. गा. ४, पद्य, वे (दुनिया में हाथ पैर), ६०७९८-५८
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औपदेशिक पद-फकीरी विषे, जै.क. बनारसीदास, पुहिं, दोहा ८, पद्य, दि. (मन को मार के बनाया), ६०७९८-९ औपदेशिक पद - भारत दुर्दशा, पुहिं, दोहा ४, पद्य, वै.. (लूटत है दिन रैन सभी), ६०७९८-५९
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औपदेशिक पद- मदिरापान परिहार, पुहिं. दोहा २, पद्य, वे., (एजी पिलो शराब की) ६००७९-६६
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वे., (जब से जिनमत को तजा), ६००७९-५०
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औपदेशिक पद - महावीरता, पुहिं., दोहा. ५, पद्य, श्वे., ( उठो भारत के क्षत्री), ६००७९-४७
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औपदेशिक पद- माया परिहार, कबीर, पुडिं. दोहा ७, पद्य, वै. ( माया माथे सींगडा), ६०७९८-२० औपदेशिक पद- मिथ्याभिमान परिहार, पुर्हि, दोहा, २, पद्य, थे. (देखोजी हम हैं सिपाही), ६००७९-५६ औपदेशिक पद-मूर्खनारी परिहार, भोजाभगत, मा.गु., दोहा. ५, पद्य, वै., (मूर्ख नारी कुमारजा), ६०७९८-२७५ औपदेशिक पद - योवन, मु. उदयरत्न', मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (योवनीयानी फोजां मोज), ६००२५-५०(क्या
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