Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 15
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 369
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३५४ www.kobatirth.org २५. पे. नाम. जिनेश्वराष्टक अष्टप्रकारपूजागर्भित, पृ. २७-२८अ, संपूर्ण. आ. विबुधविमलसूरि, सं., पद्य, आदि जिनपतेर्वरगंधसुपूजन, अंतिः त्वं विबुधेश्वरेशं, श्लोक - ९. २६. पे नाम यतिप्रतिक्रमणसूत्र सह वालाववोध, पृ. २८अ ४४अ, संपूर्ण पगामसज्झायसूत्र, हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि इच्छामि पडिक्कमिङ, अंतिः वंदामि जिणे चउवीस, सूत्र- २१. पगामसज्झायसूत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, आदि: इछु छू छू हे भगवन, अंति: तीर्थंकर जीन प्रतइ. २७. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ४४आ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-नारीशिक्षा, मु. गुलाब, मा.गु., पद्य, आदि: सुणो संखणी नार आंख; अंति: तो चतुरलोक चा छे, गाथा-७. २८. पे. नाम. औपदेशिक गरबी, पृ. ४४-४५अ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-नारीशिक्षा, मु. गुलाब, मा.गु., पद्म, आदि रंगरो चुवा जीशी शीखा, अंति: गुलाब० विना वगदा वाया, गाथा ६. २९. पे नाम. शत्रुंजयतीर्थं स्तवन, पृ. ४५अ ४६अ, संपूर्ण मु. ,खिमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: करजोडी कहे कामिनी; अंतिः सेवक जिन धरे ध्यान, गाथा- १६. ३०. पे नाम, सहजानंदनी सज्झाय, पृ. ४६-४७अ संपूर्ण. सहजानंदी सज्झाय, पं. वीरविजय, मा.गु., पद्य, वि. १९वी आदि सहजानंदी रे आतमा सूत; अंतिः वीर० तरीया अनेक रे, गाथा- ११. ३१. पे. नाम. श्रावक के तीन मनोरथ, पृ. ४७-४८अ, संपूर्ण. श्रावक ३ मनोरथ, मा.गु., गद्य, आदिः पहिलें मनोरथे समणो; अंतिः काले एहवो मुझने होजो. ३२. पे. नाम. वीसवेहरमान स्तवन, पृ. ४८अ ४८आ, संपूर्ण. कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २० विहरमानजिन स्तवन, पं. खेमवर्द्धन, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसीमंधर युगंधर; अंति: ग्रही मुझ तारो रे, गाथा-७. ३३. पे. नाम. पंचमीनेमीजिन स्तुति, पृ. ४८आ, संपूर्ण. नेमिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: श्रावण सुदि दिन, अंतिः ऋषभदास० करो अवतार तो, गाथा-४. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. ४८-४९अ, संपूर्ण. मु. अमरविजय, मा.गु., पद्य, आदि: समरी सारद माय प्रणमी, अंति: अमर नमे तुझ लली लली, गाथा-८. ३५. पे, नाम, भिडभंजनपार्श्वजिन स्तवन, पृ. ४९आ, संपूर्ण पार्श्वजिन स्तवन-भीडभंजन, उपा. उदयरत्न, मा.गु., पद्य, आदि: जिनराज जोआनी तक जाय; अंति: बांहे सहाय छे रे, गाथा- ७. ३६. पे. नाम. मंगलाचरण, पृ. ५०अ, संपूर्ण. जिनगुणप्रशस्ति बोल, मा.गु., गद्य, आदि: भगवान त्रिलोक्य तारण; अंतिः श्रद्धाई करी सांभल. ३७. पे. नाम. छ आवश्यक नाम, पृ. ५० अ-५०आ, संपूर्ण. ६ आवश्यक विचार, मा.गु., गद्य, आदि: चार आवश्यक थया कर्म, अंति: आत्माने मोक्ष पोचावू. ३८. पे नाम. २८ लब्धि नाम, पृ. ५० आ. ५१आ, संपूर्ण. मा.गु., गद्य, आदि: आमोसही विप्पोसही, अंति: नेया सेसाउ अविरुद्धा. ३९. पे नाम, विचार संग्रह, प्र. ५१-५२अ, संपूर्ण. प्रा.सं., गद्य, आदि: मोलाक्षणिकः सुगंधा, अंतिः न शक्तिमंत इति. ४०. पे. नाम. स्यादवादमति स्वाध्याय, पृ. ५२-५३आ, संपूर्ण. For Private and Personal Use Only १० बोल सज्झाय, मु. श्रीसार, मा.गु., पद्य, आदिः स्वाद्वादमत श्रीजिन; अंतिः श्रीसार० रतन बहुमूल, गाथा-२१. ४१. पे नाम. आत्मशिक्ष्या स्वाध्याय पृ. ५३आ- ५४अ संपूर्ण. " औपदेशिक सज्झाय, मु. उदय, मा.गु, पद्य, आदि: प्यारी ते पीऊने एम; अंतिः मूगति जासै तै जीव रे, गाथा- ११.

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