Book Title: Jyo tha Tyo Thaharaya
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 6
________________ ज्यों था त्यों ठहराया यह दर्पण में जो छवि बन रही है, यह दर्पण के संबंध में कुछ कहती है; मेरे संबंध में कुछ भी नहीं कहती। यह वक्तव्य दर्पण के संबंध में है--मेरे संबंध में नहीं। इसलिए हमारे पास कहावत है कि कुत्ते भौंकते रहते हैं, हाथी निकल जाता है। हाथी प्रतीक है--मस्त फकीरों का। हाथी की चाल मस्ती की चाल है; मतवाली चाल है। कुत्ते भौंकते रहते हैं। भौंक-भांक कर चुप हो जाते हैं। आखिर कब तक भौंकते रहेंगे? कुत्ते दर्पणों की तरह हैं। और दर्पण पीछा करते हैं। दर्पण नाराज हो जाता है, अगर तुम उसकी फिक्र न लो। अगर तुम उसकी न सुनो, तो उसे क्रोध आता है। दर्पण भौंकेगा। दर्पण हजार तरह से तुम्हारी निंदा करेगा। दर्पण चाहेगा कि तुम च्युत हो जाओ; तुम अपने केंद्र से सरक आओ। तुम दर्पण पर भरोसा कर लो। लेकिन दर्पण पर जिसने भरोसा किया, वह चूका। वही संसारी है--जो दर्पण पर भरोसा करता है। जो दर्पण पर भरोसा नहीं करता, जो कहता है: मैं तो अपने को आंख बंद कर के जानता हूं; और अब किस दर्पण में देखना है! मैंने अपना असली चेहरा देख लिया, अब कहां मुझे, किससे पूछना है! अब कौन मेरा चेहरा बता सकेगा! जब मुझे पता नहीं, तो कौन मेरा चेहरा बता सकेगा!... कुछ बातें हैं, जो आंख खोल कर देखी जाती हैं। बाहर का संसार आंख खोल कर देखा जाता है। भीतर का संसार आंख बंद कर के देखा जाता है। आंख बंद कर के जो दिखाई पड़ता है, वही तुम हो। दर्पण में भटके--तो भटको। ज्यूं मुख एक देखि हुई दर्पन! देखा नहीं दर्पण में, कि दो हआ नहीं! छोटे बच्चों को जब पहली दफा दर्पण दिखाओ, तो तुम देखना, उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है! छोटा बच्चा, जिसने अभी दर्पण नहीं देखा, उसके सामने दर्पण रख दो। चौंकेगा। किंकर्तव्यविमूढ हो जाएगा क्षण भर को, कि अब क्या करना--यह दूसरा बच्चा सामने है! या तो डर जाएगा या अपनी मां की तरफ भागेगा। या अगर हिम्मतवर हआ, तो टटोल कर देखेगा कि कौन है! कहां है? दर्पण पर टटोलेगा, तो पकड़ में तो कुछ आएगा नहीं; हाथ फिसल फिसल जाएगा! दर्पण में कुछ है तो नहीं; सिर्फ भ्रांति है! तो छोटा बच्चा अगर बुद्धिमान होगा थोड़ा, तो दर्पण के पीछे जा कर देखेगा। सरक कर, घुटने के बल पीछे जाएगा, कि छिपा है कोई पीछे! यह प्रत्येक छोटे बच्चे की प्रतिक्रिया होगी, जो पहली बार दर्पण के सामने आएगा। समझेगा कि कोई दूसरा है। जरूर छिपा है। पीछे छिपा होगा। यहां से पकड़ में नहीं आता, तो पीछे से जा कर पकडूं! और जब भी लौट कर आएगा, तो फिर पाएगा उसको कि छिपा है! थोड़ी देर में परेशान हो जाएगा; पसीना-पसीना हो जाएगा, कि करना क्या! इस दूसरे के साथ अब करना क्या? रोने लगेगा, चिल्लाने लगेगा; मां को पुकार देने लगेगा। छोटे बच्चे जल्दी से टटोल कर देखना चाहते हैं, पहचानना चाहते हैं--कौन है? कैसा है? Page 6 of 255 http://www.oshoworld.com

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