Book Title: Jwala Malini Kalpa
Author(s): Chandrashekhar Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ ४४। ज्वालामालिनी कल्प kumaunikams inniwelmmsmNimminenemiamine DRONACANNOTION NOUNNORINNR ONIRaowwwIONLINE 1280-11 साधारण विधि वामकर मंत्रमंत्रित निजवेदने नातनोतु जन वश्यं । भीमकरण दश त्रासनानि होमं च विदधातुः ॥ ८॥ अर्थ-मंत्री पुरुष बाएं हाथसे मन्त्रको जाप कर अपने मुखसे उसको पढ़ता जावे और दाहिने हाथसे दश प्रकारके पूर्वोक्त त्रसन और होम करे ॥ ८० ॥ मंत्रजपहोमनियमध्यानविधि मा करोतु मंत्रीति । यद्यप्यत्रसयुक्त' तथापि सन्मंत्र साधन जहातु ॥ ८१॥ अर्थ-मंत्रीको चाहिये कि वह मंत्र जप होम नियम और ध्यानकी विधिको पूर्ण रूपसे करे । यद्यपि उसका यहां विधान साधारण है। तथापि न करनेसे वही मंत्र के साधनको छोड़ देती है ।। ८१॥ एक स्तावद्वन्हिः पुनरपिपवनाहतो न कुर्यातकिम् । एक स्तावन्मत्रो जप होम युतास्य किमसाध्यं ॥ ८२ ॥ अर्थ-यद्यपि अग्नि एक होती है। तयापि उसको हवासे न ऊपका जाने पर वह क्या नहीं करती। उसी प्रकार मंत्र एक ही होता है। तब भी जप और हवनसे युक्त होने पर उसके लिये क्या असाध्य है ? ॥ ८२॥ तृतीय परिच्छेछ । ४५ तस्मान्मंत्राराधनविधि विधिमिहविधिपूर्वकं करोतु बुधः । नित्य मनालस्य मना यदीष्टसिद्धिं समीपोत ॥ ८३ ।। अर्थ-इस लिये पंडित पुरुष यदि इष्ट सिद्धि करनी चाहता हो तो मनसे आलस्यको दूर करके मंत्राराधनविधिपूर्वक इष्ट सिद्धि करे ॥ ८३॥ इतिश्री हेलाचार्य प्रणोत अर्थमें श्रीमद इन्द्रनन्दि मुनि विरचित अन्धमें ज्वालामालिनी कल्पकी काव्य साहित्य तीर्थाचार्य प्राच्य विद्यावारिधि श्री चन्द्रशेखर शास्त्रो कृत भाषाटीकामें "द्वादशाबोजाक्षर विधान" नामक .. का तृतीय परिच्छेद समाप्त हुआ ॥ ३॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101