Book Title: Jwala Malini Kalpa
Author(s): Chandrashekhar Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 56
________________ MAHARANImlisealbakMINIMURARINAMAMINIMINAWNAINARNMARRIORomana- T a mmeme -onommiWomensionNHINowINATIONA L ज्यालामालिनी कल्प। सप्तम परिच्छेद। गरि अर्थ-मयूरशिखाका चूर्ण, अलक्तक पटलपर बखेरकर सर्व वशीकरण अञ्जन पूर्वोक्त विधिसे अंजन बनाये। यह अंजन पुरुषोंको प्रसन्न करनेवाला है ॥ २० ॥ काश्मीरकुष्टमलयजकमलोत्पलकेशरं च सहदेवी। भ्रामकन्यानृपहरिकांताविकृतिम्मेयूरशिखा ॥ २४ ॥ सर्व सुखदायक अंजन हरिकान्ता केकिशिखा शरपुखी पूतिकेशसहदेव्यः । .. अर्थ-काश्मीर, कुष्ट, मलयज, कमल, उत्पल, केशर, हिममदराजावते विकृतिः कन्यापुरुषकंदः ॥ २१॥ सहदेवी, भ्राम, कन्या, नृप, हरिकांता, विकृति, मयूरएक अर्थ-हरिकांता, मयूरशिखा, शरपुंक्षी, पूतिकेश, शिखा ॥ २४ ॥ सहदेवी, हिम, मद, राजा, वर्त, विकृति, कन्या, पुरुष, कपररोचनमोहिनीनीलांजनकुकुमं च समभागं । कंद ॥ २१॥ लहर पूर्वविधियुक्तमंजनमिदमखिलजगदशीकरणं ॥ २५॥ पुरुपाकेशरं पामोहिनीतिसमभागतः कृतं चर्ण प्राविधियुतमंजलमिदमखिलजगदूरंजनं तत्थं ॥२२॥ अर्थ-कपूर, गौरोचन, मोहिनी, नीलांजन और कु'कुमको समान भाग लेकर पूर्वोक्त विधिसे अंजन सेवन करनेसे सब जगत अर्थ-पुरु पद्मकेशर और पामोहिनोको समभाग लेकर । | वशमें हो जाता है ॥ २५ ॥ पूर्वोक्त क्रमसे अंजन बना कर सेवन करे तो समस्त जगतको आनंद हो ॥ २२॥EFER वश्य प्रयोग (१) सुखदायक अंजनी एरंडकभक्तकरसेन दिवसत्रयेण पृथकृष्णतिलाः । शार्दूलनखिभ्रामकनीलांजनमोहिनसुकप्पर ।। । । भाव्याः शुनीपयोनिजमूत्रेणानंगजयवाणाः ॥ २६ ॥ . गौरोचनायुतं विधिवदं जन लोकरंजनकृत् ॥ २३ ॥ अर्थ-शार्दूल, नखि, भ्रामक, नीलांजन, मोहिनी, कपूर अर्थ-काले तिलोंको, एरण्डक रस, भक्तक रस, कुत्तीका और गौरोचनका पूर्वोक्त विधिसे बनाया हुआ अंजन लोकोंको दूध, और अपने मूत्रमें तीन दिन तक भावित करें तो यह प्रसन्न करता है ॥ २३ ॥ कामदेवकी विजयके बाण बन जावेंगे ॥ २६॥ ७

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