Book Title: Jwala Malini Kalpa
Author(s): Chandrashekhar Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ ८० । माहिती कल्प मंत्र-ॐ जंभे मोहे अमुकस्य जिह्वा स्तंभयर ठः ठः ठः स्वाहा " । गति जिह्वा और क्रोध स्तम्भन यन्त्र नामालिख्य मनुष्यवक्रविवरे तन्द्रांतसांता वृतं । लान्नग्लोत्रिशरीरवेष्टितमतः कोणस्थलं बीजकं || दिक्स्थं क्षीं धरणीतलं च विनर्थं जिह्वा स्तंभिनी मोहसत्मंत्रेणाभितमातनोति गतिजिह्वा क्रोधसं स्तम्भनं ॥२०॥ अ - मनुष्य मुखमें नामको क्रमसे ल ह व ग्लौं और ह्रीं के मध्य में लिखकर उसको रेखासे वेष्टित करके कोनों में लं बीज और दिशाओं में “ ॐ क्षि श्रीं" लिखे। इस यंत्रको " जिह्वा स्तम्भिनी क्षि क्षीं स्वाहा " इस मंत्रसे पूजनेसे गति जिह्वा और क्रोध स्तंभन होता है ॥ २० ॥ ओदनरजनीखटिका संपैष्य तदीयवर्तिकालिखितं । यंत्रमिदपाषाणे तत्पितिं खेष्टसिद्धिकरं ॥ २१ ॥ अर्थ - चांवल हल्दी और खडियाको पीस कर उसकी बत्तीसे इस यंत्र को पाषाण पर लिखे पश्चात् सिद्ध होने पर मुखमें रखने से सिद्धि होती है ॥ २१ ॥ पुरुष वश्य यन्त्र मध्ये लिख नाम तत्क्रमलवैर्विद्धं क्षतैर्वेष्टितम् । बादाम्बुजं प्रतिदलं स्वाहांतवामादिकां ॥ षष्टम परिच्छेद । [ ८१ देवीं गौर्ध्य पराजिते च विजयां जंभां च मोहां जयां वाराहीमजितां क्रमाल्लिख बहिर्व्वामादि * सः पदाः ॥ २२ ॥ अर्थ - एक अष्टदल कमलकी कर्णिकामें क्रं कवी क्ष और मैं बीच में नामको लिखकर आंठों पत्रोंमें पूर्वादिक्रमसे “ॐ गौर्यै स्वाहा " “ॐ अपराजितायै स्वाहा " " ॐ विजयायै स्वाहा” “ ॐ नृभायै स्वाहा " " ॐ मोहाय स्वाहा " “ ॐ जयायै स्वाहा " ॐ वारायै स्वाहा " "ॐॐ अजितायै स्वाहा " मंत्र लिखे। और उसके बाहरके मंडलमें ॐ ज्र सः " "बीजोंको लिखे ॥ २२ ॥ प्रकोप स्त्रीपुरुषसुरतसमये योन्यां विनि पतितमिंद्रियं यत्नात् । कायसेन ग्रहीत्वा भूमिं परिहृत्य संस्थाप्य ॥ २३ ॥ अर्थ-स्त्री पुरुषकी सुरतके समय योनिमें गिरी हुई इन्द्रियको यत्न पूर्वक कपासकसे पकड़ कर पृथ्वीके अतिरिक्त स्थान पर स्थापित करके ॥ २३ ॥ काश्मीर रोचनादिभिरेतयंत्रं विलिख्य भ्रूज्जदले । • यावक पिहितं तदुपरि विकीर्य्यं सित कोकि लाक्ष बीजरजः ॥ को अर्थ - इस यंत्र को भोजपत्र पर गौरोचन केशर आदिसे लिख कर अग्निसे ढक कर उसके ऊपर श्वेत कोकिलाक्षके बीजोंकी धूल डालें ॥ २४ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101