Book Title: Jivannu Amrut Author(s): Bhavyasundarvijay, Sanyambodhivijay Publisher: Jainam Parivar View full book textPage 8
________________ से रखनाने प्रामापताना ज्ञान नाही चीत ओल होदाला मोर छाप असे प्रामानुङ्खार आने सामने पठन पाठवली अनुझाने संघनासनना संभाजनता अनुशा आप हो या अनुझाने लाभ आपना इटे अऊ आस्थापना प्रभुना ईदजहाान पछी त प्रथम देशनामा बायो प्रतु महजार उमायिक प्रथम देशना औपाहिल, रूपण्ड औ उपधित जननादी ददतुझे जाडी हरेक प्रभु प्रथम देशनामासनस्थापना गणधर स्थापना हुन्छ हो भने संघ शासन संयोजन गणाध कोने सौंपे छे- पद्मी प्रभु जन्म अनेकन होता आया उन्हें परंतु सेोद्धाने तैयार हदवानी न्याजहारी गणधर खेया विन्स्याने सोपलक्हादेछे आा दिरको जगराते आसन संभाला असा सक्षम तैयार करना होद हो जघा समोवडीदा भेमा राज्जित होदा छता जझा महादिनया नम्र नानामदानी मदाने जगुणोमहाद जघान एकात्मा प्रेम तेल अवश्य मोजे कच्छे तम जघान गणधर दो पक्ष बहुलव पट्टी नुतन G4p4 मोजे दो-प्रभुता ध ध्वजगर शासन धपाउन तम योग्यता है कि वगर शासन बहन उधर, सावा भोडाले दिशा सर्व प्रभुला 2xrani सक कि ज्ञान उग्ने आधार संपन्नता होय छ आमा हुडा सबस भिमा दोष धन से न्यूनता आवे छे साच्हते अनंत कुले हुयादन आदछे छता सूर्य अहम Baziamछे राहुना ग्रहामधी ग्रसने सो सूर्य५०% से हैदराने देो दामन नष्ट्र ओझे प्रेम प्रभुशासन विक्रम अवाधित सर्व हेतु आये हो रहेछ रहेको साप्रलाव हो प्रतुतो सने सिजलादिततत्काननो उसने डानद्वारा प्रगढ दोस लादिन धरतेस आधार ना बदन पद्धतिनोPage Navigation
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