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कुंडलपुर हिन्दुओं का भी सिद्धक्षेत्र है। अंबिकादेवी (तकरीबन | कर दी गई। ऊपर जाने के जो भी रास्ते थे, वहाँ कुल ११वीं सदी) और रुक्मिणी के भी यहाँ मंदिर हैं। लगभग ५ | मिलाकर ४० चेक पोस्ट बना दिए गए। हर एक पर मनि, साल पहले अंबिकादेवी की मर्ति चरा ली गई थी। बाद में | साध्वियाँ और श्रद्धाल औरतें-बच्चे रास्ता बंद करके खडे हो मिली तो पुरातत्त्व विभाग ने कलेक्टर से कहा कि वे संरक्षण | गए। का जिम्मा लें, तो मूर्ति फिर से मंदिर में स्थापित की जाए। पुराने मंदिर के गर्भगृह में मुश्किल से २५ लोगों के कलेक्टर ने जिम्मा लेने से मना कर दिया, तो मूर्ति तब से | खड़े होने की जगह थी। मंदिर की छत हटाने, बलुआ पत्थर ग्यारसपुर (विदिशा) के संग्रहालय में रखी है। १९१३ की | से बनी मूर्ति को छत के रास्ते बाहर निकालने के लिए पुरातत्त्व की अधिसूचना में यहाँ विष्णु मठ भी बताया गया | जयपुर की एक संगमरमर खदान में २०० लड़कों को प्रशिक्षित है, अब उसका कोई नामोनिशान नहीं है।
| किया गया था। दो बड़ी क्रेनें लाकर कटनी रखी गईं, फिर १९९९ में जैन समाज ने पुराने मंदिर की बगल में | कम प्रयुक्त रास्तों से लाकर उन्हें पहले ही पहाड़ी पर चढ़ा नया मंदिर बनाने की तैयारी की। पहाड़ी पर एक लाख पाँच | लिया गया था। सारा ऑपरेशन आईआईटी के दो इंजीनियरों हजार वर्गफुट जमीन समतल की गई। पहाड़ी रेतीली है, | की निगरानी में हो रहा था। कोई दुर्घटना हो, तो पहाड़ी पर भूकम्प का असर न हो, नया मंदिर १०००-१२०० साल | इलाज के लिए एक छोटा ऑपरेशन थिएटर भी बनाया गया सुरक्षित रहे, इसके लिए ३८७ गहरे गड्ढे खोदकर वहाँ| था। पुराने मंदिर से मूर्ति निकालेंगे तो नीचे के रक्षक देव हजारों बोरी सीमेंट डाली गई। दिल्ली में अक्षरधाम बनाने | (साँप)निकल सकते हैं (६ जोड़े निकले), उन्हें पकड़ने के वाले वास्तुशास्त्री सीबी सोमपुरा को मंदिर शिल्प की जिम्मेदारी | लिए सपेरे तक बुलाकर मौजूद रखे गए थे। सौंपी गई। पुरातत्त्व ने कभी हाँ कहा, कभी न, पर २००० | १५ की शाम पहाड़ी के नीचे २००० पुलिस मौजूद तक नींव डालने का यह काम पूरा हो गया। मंदिर निर्माण के | थी। कलेक्टर ने भोपाल से, लाठीचार्ज करके ऊपर जाने की पहले समाज की सहमति बन जाए, इसके लिए २१ से २७ | इजाजत माँगी। कहा कि मूर्ति हटा रहे हैं। उधर से पूछा कि फरवरी २००१ को कुंडलपुर महोत्सव किया गया। इस अपराध की सजा क्या है ? बताया गया -3000 रूपये महामस्तकाभिषेक का ऐसा समाँ बँधा कि देश और प्रदेश | या तीन महीने की कैद। भोपाल ने जवाब दिया कि इतने से के कई बड़े नेता भी उसमें आए। महोत्सव की सफलता ने | अपराध के लिए लाठी-चार्ज की इजाजत नहीं दी जायेगी। १०-१२ करोड़ की शुरूआती योजना को ५० करोड़ तक | पुलिस पहाड़ी घेरे रही। श्रद्धालु और मुनि उसी तरह नाकेबंदी पहुँचा दिया। मंदिर एक मंजिला से दोमंजिला प्रस्तावित | किए खड़े रहे। नीचे कुछ पता नहीं ऊपर क्या, कब, कैसे हो हुआ। २००१ से लगातार कार्य चला है। अब मंदिर ३५ फुट | | रहा है। १६ की सुबह साढ़े चार बजे ईंट-ईंट निकालकर ऊँचा बन चुका है।
पुराने मंदिर की छत हटाने का काम शुरू हुआ। १७ की पुराने मंदिर से निकालकर मूर्ति को नए मंदिर में | सवेरे मूर्ति बाहर निकाल ली गई और दोपहर बाद २ बजकर प्रतिष्ठित करने की बारी आई, तो पता तो पहले से ही था | ३६ मिनट पर नए मंदिर में प्रतिस्थापित कर दी गई। १६ को कि पुरातत्त्व विभाग इसकी इजाजत नहीं देगा, इसलिए | पुरातत्त्व विभाग जबलपुर हाईकोर्ट गया। दिन में तीन बार सावधानी से, 'ऑपरेशन मोक्ष' योजना बनाई गई। इसके | सुनवाई हुई। फिर १७ को दोपहर २ बजे के लिए टली। १७ लिए सवा पाँच करोड़ जाप के आह्वान के साथ श्रद्धालुओं को २ बजे सरकारी वकील ने बताया कि इस बीच मूर्ति को कुंडलपुर बुलाया गया। १४ जनवरी तक वहाँ तीस | स्थानांतरित हो गई है। पुरातत्त्व के वकील ने बताया कि मूर्ति हजार श्रद्धालु पहुंच गए।
स्थानांनतरित नहीं हुई है। ४.३० बजे अदालत ने आदेश प्रशासन को ५ जनवरी को इत्तला दे दी गई थी कि | पारित किया कि मूर्ति की बाबद यथास्थिति बनाए रखी समाज पुराने मंदिर से मूर्ति को नए मंदिर में स्थानांतरित | जाए। मूर्ति तो २.३६ पर नए मंदिर में प्रतिस्थापित भी की जा करना चाहता है। प्रशासन में हलचल हुई, पर वह सवा पाँच | चुकी थी। सो, अब यथास्थिति यह है कि मूर्ति नए मंदिर में करोड़ जाप के लिए वहाँ आ रहे लोगों को नहीं रोक सकता | पूजा-अर्चना के साथ विराजमान है। १९ जनवरी को उसका था। १५ जनवरी की शाम कलेक्टर ने पहाड़ी पर पुलिस | पहला महामस्तकाभिषेक भी हो चुका है। चौकी कायम करनी चाही, तो श्रद्धालुओं के रेले ने उन्हें |
(लेखक 'नई दुनिया', इंदौर के स्थानीय संपादक हैं) पहाडी से नीचे उतार दिया। पहाडी की चारों ओर से नाकेबंदी ।
-अप्रैल, मई, जून 2006 जिनभाषित / 11
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