Book Title: Jinabhashita 2006 04 05 06
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 49
________________ मूलतः तिजारा निवासी थे, आपका जन्म 9 अप्रेल 1917 को | द्वारा एवं ब्र. संदीप सरल द्वारा कराया गया। हुआ था। पूज्य अनंतानंद सागर मुनिराज ने प्रतिदिन सांयकाल आपने तिजारा में यात्री विश्राम गृह का निर्माण, | मरणसमाधि साधना पर सारगर्भित प्रवचन दिए। चांदखेड़ी में आवास केशोरायपाटन में वेदी निर्माण, तलवंडी ब्र. संदीप सरल द्वारा रात्रिकालीन शिविर में प्राकृत जैन मंदिर में औषधालय कक्ष का निर्माण कराया। अनेकों | व्याकरण सिखाया गया एवं प्राकृत भाषा की सुंदरतम 51 जैन मंदिर एवं संस्थाओं को मुक्त हस्त से दान दिया। आप | गाथाएँ अर्थसहित पढ़ाई गईं। सकल जैन समाज कोटा एवं तलवंडी जैन समाज के संरक्षक अन्तिम दिन पूज्य मुनि श्री एवं क्षुल्लक जी के थे, आपका सम्पूर्ण व्यक्तित्व बहु आयामी प्रतिभा का धनी | आशीर्वाद से एवं ब्र. भैया की प्रेरणा से लगभग 50 बच्चों था। उनके निधन से समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। जैन धर्म की दीक्षा ग्रहण की, जिसमें सभी बच्चों ने उत्साह उनकी पुण्य स्मृति में परिवार ने ग्यारह पोलियो | पूर्वक अष्टमूल गुणधारण किए, सप्त व्यसनों के त्याग एवं आपरेशन के संकल्पसहित लगभग एक लाख रुपये विभिन्न | मांसाहारी होटलों में बना शाकाहारी भोजन न करने का मंदिर, संस्थाओं को प्रदान किए हैं। संकल्प लिया। रमेश जैन तिजारिया समापन के अवसर पर प्रो. रतनचन्द्र जैन ने स्वाध्याय में श्रावकों की रुचि के अभाव पर चिंता व्यक्त की। सचिव कासलीवाल जी के निधन से समाज को क्षति संतोष कुमार जैन ने सभी शिविरार्थियों को एवं आयोजकों बाराँ (राज.) जैन समाज के शिरमोर, सबसे वृद्ध | को धन्यवाद ज्ञापन किया। शिविर के आयोजन में श्रीमती "ख्याति प्राप्त" धर्मवीर श्री मदनलाल जी कासलीवाल | संध्या जैन की भूमिका प्रशंसनीय रही। दिनांक 22.3.06 को दिन के 4.45 पर अपने परिजनों को धरमचन्द बाझल्य छोड़कर अनन्त में विलीन हो गये। समाज ने उन्हें धर्मवीर की उपाधि से अंगीकार किया है। जब कभी समाज में गुरूकुल ने पुनः इतिहास दुहराया विकास व अनुष्ठान की बात होगी, तब श्री कासलीवाल जी श्री वर्णी दिगम्बर जैन गुरुकुल पाण्डुकशिला परिसर की याद आये बिना नहीं रहेगी। जबलपुर (म.प्र.) में हायरसेकेण्ड्री के शत प्रतिशत छात्रों ने प्रेमचन्द जैन अध्यक्ष परीक्षा को प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर ज्ञात इतिहास के नालंदा और तक्षशिला नामक शिक्षा केन्द्रों की याद ताजा कर दी। अनेकान्त सम्यग्ज्ञान शिविर सम्पन्न । यह विद्यालय गत 5 वर्षों से 100 प्रतिशत परीक्षा परिणाम दे पूज्य मुनि श्री अनंतानन्दसागर जी की पावन प्रेरणा से | रहा है। इस वर्ष विद्यालय के सर्वश्रेष्ठ छात्र धीरजकुमार जैन ऐलक श्री दिव्यानंद जी के सान्निध्य में उपर्युक्त शिविर | ने सभी छात्रों में प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा रितुराज द्वितीय दिनांक 30.4.06 से 9.05.06 तक ब्रह्मचारी श्री संदीप सरल, | एवं बसंत ततीय स्थान पर रहे। इस विद्यालय में जहाँ छात्रों संस्थापक अनेकान्त ज्ञान मंदिर शोध संस्थान बीना (म.प्र.) | को भारतीय संस्कृति के अनुरूप नैतिक शिक्षा प्रदान की के निर्देशन में श्री पार्श्वनाथ दि. जैन मंदिर शाहपुरा भोपाल | जाती है, वहीं उनके व्यक्तित्व के निर्माण की दिशा में प्रेरक (म.प्र.) में सम्पन्न हुआ। शिक्षा भी दी जाती है। गुरुकुल अधिष्ठाता ब्र. जिनेश जी के ब्र. संदीप सरल द्वारा, अक्षय तृतीया के पावन दिवस | निर्देशन में तथा अधीक्षक राजेश जी के मार्गदर्शन में विद्यालय पर, अमर कवि पं. दौलत राम जी की बेजोड़ रचना छहढाला | के छात्रों को उचित शिक्षा-दीक्षा प्रदान की जा रही है। परम के स्वाध्याय से शिविर आरंभ किया गया। यह वही दिन था | पज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से जिस दिन पंडित जी ने छहढाला की रचना पूर्ण की थी। छात्र सफलता अर्जित कर रहे हैं। अपराह्नकालीन शिविर में द्रव्य संग्रह एवं जिनागम राजेश कुमार जैन प्रवेश का स्वाध्याय क्रमशः क्षुल्लक 105 श्री दिव्यानन्द जी अधीक्षक -अप्रैल, मई, जून 2006 जिनभाषित / 47 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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