Book Title: Jinabhashita 2006 04 05 06
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 47
________________ समाचार । नागपुर में 'आचार्य विद्यासागर संस्कार केन्द्र' । चरित्र-निर्माण के लिए अच्छे संस्कार जरूरी का शुभारंभ व्यक्ति के चरित्र निर्माण के लिए अच्छे संस्कारों अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर दि. 30 मई | का होना जरूरी है। ये विचार संतशिरोमणि आचार्य श्री 2006 को श्री दि. जैन परवार मंदिर ट्रस्ट नागपुर के अंतर्गत | विद्यासागर महाराज के परम शिष्य मनि श्री समतासागर जी संस्था महावीर दि. जैन पाठशाला द्वारा आयोजित विशाल | महाराज ने व्यक्त किये। वे श्री दिगंबर जैन परवार मंदिर धर्मसभा में मुनि श्री समता सागर जी महाराज, ऐलक निश्चय परवारपुरा इतवारी के प्रांगण में आयोजित दस दिवसीय सागर जी महाराज एवं प्रो. रतनचन्द्र जी जैन भोपाल व अन्य पूजन प्रशिक्षण शिविर के समापन पर श्री महावीर दि. जैन आमंत्रित सदस्यों के सान्निध्य में हजारों जैन धर्मप्रेमियों के पाठशाला के विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। बच्चे बीच "आचार्य विद्यासागर संस्कार केन्द्र" के नये भवन का | गीली मिट्टी की तरह होते हैं। उन्हें अच्छे ढाँचे में ढालना उद्घाटन सम्पन्न हुआ। समाज के नेतृत्व की जिम्मेदारी है। टी. वी. संस्कृति समाज धर्म सभा में मुनि श्री समता सागर जी महाराज ने | के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इस अवसर पर एलक श्री अपने उद्बोधन में कहा कि अक्षय तृतीया का पर्व जैनधर्म | निश्चयसागर जी ने संबोधित करते हुए कहा कि उसे रोकने में विशेष महत्त्व रखता है। आज के दिन किसी भी शुभ के लिए धार्मिक पाठशालाएँ समय की आवश्यकता हैं। कार्य का शुभारंभ श्रेष्ठ माना जाता है एवं आज के ही दिन | ज्ञातव्य हो की परवार मंदिर में पाठशाला का संचालन विगत आहार दान की क्रिया का शुभारंभ हुआ था। मुनिराज आदिनाथ | 50 वर्षों से श्री दिगंबर जैन परवार मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जा को राजा श्रेयांस ने जातिस्मरण के आधार पर प्रात:कालीन | रहा है। किन्तु इस बार मुनि श्री समतासागर जी और ऐलक बेला में पड़गाहन कर इक्षुरस का दान दिया था। श्री विद्यासागर श्री निश्चयसागर जी ने बालकों को विशेष प्रशिक्षण दिया। संस्कार केन्द्र महावीर दि. जैन पाठशाला का उद्देश्य वर्तमान | अपने सरल स्नेही व्यवहार और आकर्षक विधाओं से पूजन पीढी को खेल-खेल में धर्म से संस्कारित करना है। अल्पकाल | प्रशिक्षण देना शिविर की विशेषता रही। 4 वर्ष से 16 वर्ष में 250 से ज्यादा बालक बालिकाओं का इसमें अध्ययन | तक के 250 विद्यार्थियों ने शिविर में भाग लिया। करना एवं उन्हें कम्प्यूटर इत्यादि साधनों से ज्ञान देना निश्चित ही सराहनीय है। थेलेसीमिया का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा ऐलक निश्चय सागर जी ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन से संभव है में कहा कि अक्षय तृतीया के पावन प्रसंग पर नन्हें-नन्हें भाग्योदय तीर्थ प्राकृतिक चिकित्सालय, सागर ने बालकों को संस्कारित कर वटवृक्ष के समान स्वरूप दें | विगत १० मई २००६ को थेलेसीमिया के मरीजों का दस जिससे वह समाज देश परिवार को शीतलता प्रदान कर दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर लगाया जिसका, समापन सके। प्रो. रतनचन्द्र जैन भोपालवालों ने कहा कि आचार्य | २० मई २००६ को किया गया। प्राकृतिक चिकित्सा से श्री विद्यासागर के आभामंडल की किरणें आज मंच पर | अभूतपूर्व परिणाम सामने आये। डॉ. संगीता जैन एवं उनकी विराजमान हैं एवं गाँव-गाँव, शहर-शहर में धर्म की प्रभावना | डाक्टर्स टीम डॉ. नीता जैन. डॉ. रश्मी जैन. डॉ. मदला एवं कर रही हैं। इस अवसर पर अनेक नगरों से गणमान्य | शिशुरोगविशेषज्ञ डॉ. नीलम जैन ने बताया कि पूर्व में अनेक उपस्थित थे, जिनमें प्रमुख सौ. मंजू संदीप जैन, सौ. मोहिनी | एनीमिया के मरीजों को उपचार दिया जिससे काफी लाभ सतीश जैन, हुकमचंद जैन, प्रमोद जैन, सतीश जैन, राजू व | मिला। तब इसी धारणा के आधार पर १० मई को थेलेसीमिया पंकज देवड़िया ब्र. ऋषभ जैन इत्यादि का ट्रस्ट की ओर से | के बच्चों को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार देना प्रारंभ शाल, श्रीफल द्वारा सत्कार किया गया। किया। इस शिविर में कुल १२ बच्चे आये जिनका प्रथम मंच संचालन श्री सतीश सिंघई ने सन्दर ढंग से | दिन हीमोग्लोबिन चैक कराया गया। बाद में उन्हें १० दिन किया। मंगलाचरण पाठशाला के बालकों द्वारा किया गया। | तक प्राकृतिक आहार एवं उपचार दिया गया। आहार के महेन्द्र जैन 'रूपाली' | रूप में उन्हें दिनभर में ९ बार खाने पीने को दिया जाता था। -अप्रैल, मई, जून 2006 जिनभाषित / 45 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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