Book Title: Jeevandhar Swami
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ किन्तु महाराज ! आपने पहले स्वप्न का अर्थ नहीं बताया। वह स्वप्न भविष्य में मेरे अनिष्ट की सूचना देता है। कुछ समय बाद रानी गर्भवती हुई। हे रानी! मैंने मयूर की आकृति का यह विमान आपके लिए बनवाया है आप इस पर बैठकर उड़ने का अभ्यास कीजिए । राजा काष्ठागार का दरबार - हे मंत्रिगण । एक देव मुझे आकर सता रहा है, और कहता है कि तुम राजा सत्यंधर को मार कर | स्वयं राजा बनो । बताइए मैं क्या करूं ? यह धूर्त स्वयं राजा बना रहने के लिए सोध रहा है और देव का बहाना बना रहा हैं। Ooo श्री जीवंधर स्वामी ಸಿದ हे महाराज, यह आपने क्या कहा ? मैं कहां जाऊंगी 6 3 दुखी न हो रानी दुख को छोडकर धर्म पालन करो जिससे आने वाली विपत्ति दूर हो जाय। मंत्रियों है, समजाने पर भी काष्ठांगार नही माना र उपने सत्यंधर को मारने के लिए सेना भेज दी। महाराजा काय रागार का सेना से मैं निपट लूगा। आप तत्काल इस विमान से उड़कर कहीं ओर चली जाइए।

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40