Book Title: Jeevandhar Swami
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 23
________________ श्री जीवंधर स्वामी सुरमंजरी पूजा के लिए तैयार हुई और वृद्ध बने जीवंधर के साथ मंदिर गई । हे कुमारी पूजन हो चुका है। अब तुम अपना अभीष्ट मांगो। कामदेव प्रसन्न होकर वर देगें। और सुरमंजरी ने जैसे ही पलटकर उस वृद्ध को देखा तो जीवंधर अपने असली रूप आकर मुस्करा रहे थे में 1 Gov हे देव आपकी कृपा से मुझे जीवंधर पति रूप में प्राप्त हो । 21 उस समय वह विदूषक बुध्दिषेण मंदिर में कामदेव की मूर्ति के पीछे पहले ही छिप गया था। उसने कामदेव की ओर से कहा। इसके बाद सुरमंजरी के पिता कुबेरदत्त ने उन दोनों का बड़ी धूमधाम से विवाह कर दिया। G हे पुत्री । तुझे अभीष्ट वर प्राप्त ) हो चुका है। तेरे साथ आया यह व्यक्ति ही जीवंधर है। B

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