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श्री जीवंधर स्वामी अंत में जीवधर ने आकर चंद्रक यंत्र भेद दिया।
हेराजाओं। इस चंद्रक यंत्र को भेदने वाले जीवंधरकुमार, राजपुरीके पूर्व राजा सत्यंधरके सुपुत्र
आपने ठीक कहा ।इस महापुरुषको देख कर ही हमइस की उच्यकुलीनता को समझ गएथे।
इस सत्य को जानकर काष्ठांगार को मानो लकवा मार गया।
मैंने तोइसे मृत्युदंड दिया था। पर लगता है,मृत्युदंड देने वालों ने इसे जीवितही छोड़ दिया था। यदि मुझे पता चल जाता तो मैं इसे कभी न
छोड़ता।
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यदि सचमुच ही यह सत्य-ज धर का पुत्रहेत. तो मुझे अपने को मरा हुआसमझना वाहिए। इसके होते हुए अब मेरा राज्य करना असंभव है।
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