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श्री जीवंधर स्वामी
जीवंधर कुमार ने अपने पद्मास्य आदि अनेक मित्रों तथा राजाओं को भी 'महामात्य' आदि पदों से विभूषित किया।
इस प्रकार जीवंधर कुमार सुख शांति एवं न्यायपूर्वक शासन करने लगे।
उनके मन में वैराग्य - भावना आ गयी।
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एक दिन विजयामाता ने सोचा ।
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मैने जीते जी अपने सुपुत्र जीवंधर कुमार को राजा बनते हुए देख लिया है। जिन पद्मास्य आदि ने मेरा उपकार किया उनको भी यथायोग्य पद मिल गए। इस प्रकार में सर्वथा निश्चिंत हूं ।
इसलिए अब मुझे पुत्रप्रेम का परित्याग
कर तपश्चर्या करनी चाहिए।