Book Title: Jeevandhar Swami
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 31
________________ श्री जीवंधर स्वामी जीवंधर कुमार ने अपने पद्मास्य आदि अनेक मित्रों तथा राजाओं को भी 'महामात्य' आदि पदों से विभूषित किया। इस प्रकार जीवंधर कुमार सुख शांति एवं न्यायपूर्वक शासन करने लगे। उनके मन में वैराग्य - भावना आ गयी। 29 CSS एक दिन विजयामाता ने सोचा । a LIN मैने जीते जी अपने सुपुत्र जीवंधर कुमार को राजा बनते हुए देख लिया है। जिन पद्मास्य आदि ने मेरा उपकार किया उनको भी यथायोग्य पद मिल गए। इस प्रकार में सर्वथा निश्चिंत हूं । इसलिए अब मुझे पुत्रप्रेम का परित्याग कर तपश्चर्या करनी चाहिए।

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