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जैन चित्र कथा तब उस बंदर ने प्रसन्न होकर बंदरी को कटहल का | लेकिन तभी माली आया और उसने डंडा मारकर एक फल दिया।
कटहल काकल छीन लिया।
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यह देखकर जीवधर महाराज को वैराग्य हो गया।
जिस प्रकार इस बंदर ने कटहलका फल तोड़कर बानरी को दिया और फिर माली ने डंडा मारकर छीन लिया, इसी प्रकार मेरे पिता ने जोराज्य काष्ठांगार को दिया था, वह मैंनेवापस छीन लिया है। अतः मुझे यह राज्य छोड़ देना चाहिए।
जब मैं अनेक शुभाशुभकाँका भोक्ता हूं, उनका नाशक भी हूं तो मुझे कर्मो को छोड़कर मुक्ति प्राप्ति की चेष्टा करनी
चाहिए।
2007
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